देहरादूनः पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार रैलियों में अक्सर बीजेपी को दूसरे दलों पर परिवारवाद का आरोप लगाते हुए देखा गया था, लेकिन उत्तराखंड में तो बीजेपी के अंदर खुद ही परिवारवाद देखने को मिल रहा है।
आपको बता दें कि विस चुनाव के लिए घोषित प्रत्याशियों की लिस्ट में एक ऐसे नाम को शामिल किया गया है जिसे देखकर हर कोई हैरान है।
बता दें कि भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मेरा भाई-मेरा बेटा’का फार्मूला टिकट वितरण में इस्तेमाल नहीं करने की सलाह उत्तराखंड में नहीं चली। यहां बेटा-बेटी को तो टिकट मिला ही, साथ ही समधी तक का भी ख्याल रखा गया।
बता दें कि बीजेपी के धनोल्टी से सीटिंग विधायक महावीर रांगड़ का टिकट काटकर गृहमंत्री राजनाथ सिंह के समधी नारायण सिंह राणा को टिकट दे दिया गया है। मालूम हो कि कभी विधानसभा चुनाव नहीं जीतने वाले और न ही राजनीति करने वाले बुजुर्ग नेता नारायण राणा को पैराशूट से उतार पार्टी ने युवा तथा विकासशील नेता रांगड़ को अपने सर्वे के आधार पर दरकिनार कर किया है।
पांच वर्षों से राजनीति में निष्क्रिय रहे राजनाथ के समधी को उतार कर पार्टी को कितना नफा या नुकसान होगा, यह तो नतीजे आने के बाद ही साफ हो पाएगा।
भाजपा पर परिवारवाद के लग रहे आरोपों को लेकर कांग्रेस अभी भले ही आक्रामक नहीं दिख रही है, लेकिन भाजपा के बागी हुए नेताओं ने झंडा बुलंद कर दिया है।