देहरादून। उत्तराखंड में सड़क हादसों पर लगाम नहीं लग पा रही है। पिछले साल के मुकाबले इस बार सड़क हादसों में 4.87 फीसदी तक का इजाफा हुआ है। इन हादसों में जान गंवाने वालों की संख्या 3.9 फीसदी और घायलों की सख्या 4.24 फीसदी तक बढ़ी है। दून समेत वार जिलों में इस साल सर्वाधिक सड़क हादसे हुए हैं। वर्ष 2023 में नवंबर माह तक 1520 सड़क दुर्घटनाएं हुईं और इसमें 946 व्यक्तियों की मृत्यु हुई थी।
इस वर्ष नवंबर तक 1594 सड़क दुर्घटनाएं हो चुकी हैं और इसमें 983 व्यक्तियों की मौत हुई है। केवल नैनीताल जिला ही ऐसा है, जिसमें गत वर्ष नंवबर तक हुई सड़क दुर्घटनाओं के सापेक्ष 19 प्रतिशत दुर्घटना कम हुई हैं। उत्तरकाशी में यह संख्या गत वर्ष की भांति ही है। शेष सभी जिलों में यह आंकड़ा दो प्रतिशत से लेकर 47 प्रतिशत तक बढ़ गया है।
वहीं आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो इस वर्ष सबसे अधिक 470 सड़क दुर्घटनाएं देहरादून में हुई हैं। इनमें 185 व्यक्तियों की मौत हुई हैं। वहीं, हरिद्वार में 400 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं, जिनमें 256 व्यक्तियों की मृत्यु हुई। ऊधम सिंह नगर में 384 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं और इनमें 243 व्यक्तियों की मृत्यु हुई। पर्वतीय क्षेत्रों की बात करे तो सबसे अधिक 50 सड़क दुर्घटनाएं टिहरी में हुईं और इनमें 34 व्यक्तियों ने जान गंवाई। सड़क दुर्घटना में पर्वतीय जिलों में सबसे अधिक 44 मृत्यु अल्मोड़ा में हुई हैं। यहां गत वर्ष केवल पांच व्यक्तियों की मृत्यु हुई थी।
यह स्थिति तब है जब प्रदेश सरकार लगातार सड़क दुर्घटना रोकने के करोड़ों रुपये का बजट जारी कर रही है। प्रदेश में गत चार नवंबर को अल्मोड़ा में बस दुर्घटना हुई थी। परिवहन मुख्यालय ने इसकी जांच के लिए मुख्यालय स्तर पर एक जांच समिति का गठन किया था। समिति ने दुर्घटना स्थल का निरीक्षण भी किया था। इस कार्य को हुए डेढ़ माह से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन यह रिपोर्ट अब तक तैयार नहीं हो पाई है। इससे सीधे विभागीय कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं।
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