अल्मोड़ा। अल्मोड़ में बिनसर वन अभयारण्य क्षेत्र के गैराड़ के जंगलों में लगी आग को बुझाते वक्त पीआरडी और वन विभाग के 4 कर्मचारियों की आग में जिंदा जलने से मौत हो गई थी। दरअसल,अब इस मामले में अब नया खुलासा हुआ है। आग बुझाते हुए जिन चार लोगों की मौत हुई थी, उनमें एक 17 साल का नाबालिग भी शामिल है। उसे फायर वाचर के तौर पर तैनात किया गया था। लेकिन, अब वन विभाग के अधिकारी कह रहे हैं कि वो हमारा कर्मचारी नहीं था। सवाल यह है कि अगर वो वन विभाग का कर्मचारी नहीं था, तो फिर उसे किसके कहने पर आग बुझाने के लिए भेजा जा रहा था।
मिलीं जानकारी के मृतकों में से एक करन आर्या निवासी भेटूली अयारपानी नाबालिग है। उसके आधार कार्ड में जन्मतिथि 20 सितंबर 2007 दर्ज है। उम्र के अनुसार अभी उसे 17 वर्ष भी पूरे नहीं हुए हैं। जबकि विभागीय अधिकारी करन आर्या की उम्र 21 साल बता रहे हैं। तक करन की उम्र को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। स्थानीय लोगों ने इसे विभाग की लापरवाही बताया है। अब विभागीय अधिकारी करन को अपना कर्मचारी होने से ही मना कर रह हैं।
बता दें कि बाल श्रम (निषेध और विनियमन) संशोधन विधेयक, 2012 के तहत 14 से 18 वर्ष की आयु के किशोरों को किसी भी खतरनाक व्यवसाय में काम पर नहीं रखा जा सकता। वन महकमा पूरे मामले की जांच की बात कह रहा है। मृतक करन के चचेरे भाई हिमांशु ने बताया कि करन फायर सीजन शुरू होने के बाद लगातार आग बुझाने पहुंच रहा था। उन्होंने बताया कि मृतक करन के पिता घर में ही खेती बाड़ी का काम करते हैं। वन रेंजर मनोज सनवाल ने बताया कि करन की फायर वाचर के रूप में तैनाती नहीं की गई थी।
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