देहरादून। भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक कैग ने एक रिपोर्ट पेश की है जिसके मुताबिक उत्तराखंड में पिछले पांच साल के दौरान शहरी स्थानीय निकायों में गरीबों को सस्ता घर देने के पांच हजार से अधिक आवेदन प्राप्त हुए। जिनमें से तीन हजार से अधिक वास्तविक लाभार्थी पाए गए। इनमें से भी सिर्फ 210 लाभार्थियों की सस्ता घर पाने की मुराद पूरी हो सकी। यानी सात फीसदी को ही सस्ता घर मिल सका।
दरअसल कैग ने शहरी क्षेत्र स्थानीय निकायों के माध्यम से प्रधानमंत्री आवास योजना के ऑडिट में यह भारी गड़बड़ी पकड़ी है। कैग ने देहरादून नगर निगम समेत प्रदेश की 19 निकायों में सस्ता घर योजना के आवेदनों की नमूना जांच में यह अनियमितता उजागर की है। पात्रता पूरी करने के बाद निर्माण शुरू करने से पहले 20 हजार रुपयेए प्लिंथ स्तर तक पूरा होने पर एक लाख रुपये और निर्माण के बाद तक छत 60 हजार रुपये और निर्माण पूरा होने पर 20 हजार रुपये दिए जाते हैं।
बता दें कि प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना पर स्थानीय निकायों ने पलीता लगा दिया। 2015.16 से 2019.20 के दौरान 19 निकायों के पास सस्ता घर के लिए 5165 लोगों ने आवेदन किया। इनमें से 3094 को वास्तविक लाभार्थी चुने गए। लेकिन घर की मुराद केवल 210 यानी सात फीसदी ही पूरी हो सकी। 2884 यानी 93 फीसदी आवास नहीं बन पाए।