- सीडीएस के परिवार में बची सिर्फ दो बेटियां, हादसे में माता-पिता दोनों को खोया
देहरादून/दिल्ली। देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत केवल पैतृक तौर पर ही उत्तराखंड से जुड़े हुए नहीं थे, बल्कि उनके मन में अपनी जन्मभूमि के लिए बेहद प्यार भी था। यही कारण रहा कि उन्होंने रिटायरमेंट के बाद दिल्ली में रहने के बजाय देहरादून में बसने की तैयारी कर रखी थी, जहां उनका पूरा बचपन बीता था।
इसके लिए जनरल रावत ने एक महीने पहले ही देहरादून में प्रेम नगर के पास जंगलों के बीच खूबसूरत वादियों में अपना आशियाना बनवाना भी शुरू किया था। फिलहाल इस मकान की भूकंपरोधी तकनीक से नींव तैयार की जा रही थी। जनरल रावत की स्कूली शिक्षा देहरादून में ही कैंब्रियन हॉल स्कूल में और फिर शिमला के सेंट एडवर्ड स्कूल में पूरी हुई। इसके बाद एक बार फिर वे देहरादून पहुंचे, जहां उनका चयन भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में हुआ। यहां उन्होंने अपना बैच टॉप किया और इसके लिए उन्हें ‘सोर्ड ऑफ ऑनर’ दिया गया।
देश को तो अपने इस सर्वोच्च सेना अधिकारी को खोने से बड़ा झटका लगा ही है, लेकिन इस हादसे ने जनरल रावत की बेटियों को भी पलभर में अनाथ बना दिया।
दोनों बेटियों ने अपने पिता को खोने के साथ ही मां मधुलिका रावत को भी खो दिया, जो एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए जनरल रावत के साथ ही हेलिकॉप्टर में वेलिंगटन जा रही थीं। मधुलिका रावत आर्मी वुमन वेलफेयर एसोसिएशन की अध्यक्ष थीं और इसी नाते उन्हें भी वेलिंगटन में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेना था। जनरल रावत की बड़ी बेटी का नाम कीर्तिका है। कीर्तिका की शादी हो चुकी है और फिलहाल वह मुंबई में रहती हैं। छोटी बेटी का नाम तारिणी है, जो दिल्ली हाईकोर्ट में वकील के तौर पर प्रैक्टिस कर रही हैं।