देहरादून। कैग की रिपोर्ट में उत्तराखंड के विभागों में अनियमितता के मामले सामने आये हैं। जिसके कारण सरकार को राजस्व का नुकसान उठाना पड़ा। खनन विभाग में तो अधिकारियों की ही लापरवाही से राज्य सरकार को करोड़ों का चूना लगा। वहीं उत्तराखंड सरकार वर्ष बीते दो वित्तीय वर्षों में ठेकेदारों और अलग-अलग एजेंसियों से 1386 करोड़ की वसूली नहीं कर पाई। इसमें कई मामले गलत भुगतान के होने के बावजूद वसूली की स्थिति बेहद खराब रही। इससे सरकार को सीधा आर्थिक नुकसान हुआ। वसूली की रकम से महज 4.44 करोड़ रुपये यानी 0.32 फीसदी राशि खजाने में पहुंच सकी।
गैरसैंण में बजट सत्र के बाद विधानसभा के पटल पर कैग की रिपोर्ट रखी गई। कैग की रिपोर्ट में कई खुलासे हुए हैं। कैग ने राज्य के 55 विभागों, 32 सार्वजनिक उपक्रमों और 53 दूसरी संस्थाओं की राजस्व वसूली और भुगतान की रिपोर्ट पेश की। जिसमें पाया गया कि बागेश्वर और चमोली के जिला खनन अधिकारियों ने अवैध खनन भंडार पर जुर्माना नहीं लगाया। जिसके कारण 1.24 करोड़ रुपये के राजस्व की हानि हुई है।
बता दें वर्ष 2019-20 के दौरान 770 प्रकरणों में 982.07 करोड़ रुपये की वसूली नहीं हो पाई, सिर्फ 83 प्रकरणों में कुल 2.57 करोड़ रुपये वसूले जा सके थे। इसी तरह 2020-21 में 531 प्रकरणों में 404.64 करोड़ की वसूली नहीं हो पाई। इस वर्ष 109 प्रकरणों में 1.87 करोड़ रुपये ही वसूल किए जा सके। वहीं कैग ने राज्य में खनन के दौरान राजस्व चोरी को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। कैग ने देहरादून जिले में ही तीन स्थानों पर अवैध खनन के साक्ष्य पाए। देहरादून में सरकार की निर्माण एजेंसियों ने 37.17 लाख मीट्रिक टन अवैध खनन का उपयोग किया। कैग ने कहा कि खनन विभाग, जिला कलेक्टर, पुलिस विभाग, वन विभाग, गढ़वाल मंडल विकास निगम जैसी संस्थाएं अवैध खनन को रोकने और उसका पता लगाने में विफल रही हैं।