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हरिद्वार जमीन घोटाले में तीन अफसरों पर गिरी गाज, सरकार ने शुरू की विभागीय जांच

देहरादून। हरिद्वार के बहुचर्चित जमीन घोटाले में सरकार ने एक बार फिर सख्त रुख अपनाया है। इस मामले में तीन वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच की औपचारिक शुरुआत कर दी गई है। आरोपों के घेरे में आए अधिकारियों में तत्कालीन डीएम कर्मेन्द्र सिंह, नगर आयुक्त वरुण चौधरी और एसडीएम अजयवीर सिंह शामिल हैं। गृह विभाग ने जांच से संबंधित आदेश जारी करते हुए जांच अधिकारियों की नियुक्ति भी कर दी है।

गृह विभाग से जारी आदेश के अनुसार प्रथम दृष्टया संलिप्तता पाए जाने के आधार पर तत्कालीन उप जिलाधिकारी अजयवीर सिंह के खिलाफ उत्तराखंड सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली, 2003 (यथासंशोधित) के प्रावधानों के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाही चालू की गई हैं उन्हें पूर्व में आरोप पत्र जारी करते हुए अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर दिया गया था, जिसके जवाब में अजयवीर सिंह ने 16 सितंबर 2025 को अपना लिखित जवाब प्रस्तुत करते हुए सभी आरोपों को अस्वीकार किया था।

शासन ने अब इस मामले में निष्पक्ष जांच करने के लिए अपर सचिव आनन्द श्रीवास्तव को अजयवीर सिंह के खिलाफ जांच अधिकारी नियुक्त किया है, साथ ही अपर सचिव को एक माह के भीतर जांच रिपोर्ट शासन को प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही भूमि घोटाले मामले से संबंधित अन्य दो अधिकारियों, तत्कालीन जिलाधिकारी हरिद्वार कर्मेन्द्र सिंह और तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी के खिलाफ चल रही विभागीय जांच के लिए शासन ने सचिव सचिन कुर्वे को जांच अधिकारी नामित किया है।

वही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धानी ने कहा कि राज्य सरकार भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के प्रति शून्य सहिष्णुता की नीति पर दृढ़ता से कार्य कर रही है। शासन व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। किसी भी स्तर पर अनियमितता पाए जाने पर कठोरतम कार्रवाई की जाएगी, चाहे वह किसी भी स्तर का अधिकारी क्यों न हो।

दरअसल, साल 2024 में नगर निकाय चुनाव के दौरान जब आचार संहिता लगी हुई थी, तभी हरिद्वार नगर निगम ने सराय ग्राम में 33 बीघा जमीन खरीदी थी। हरिद्वार नगर निगम से ये जमीन करीब 54 करोड़ रुपए में खरीदी थी। जिस समय जमीन खरीदी गई, उस समय आचार संहिता के कारण हरिद्वार नगर निगम का पूरा सिस्टम तत्कालीन नगर आयुक्त अरुण चौधरी के हाथों में था। बताया जा रहा है कि इस जमीन की मार्केट वैल्यू करीब 13 करोड़ रुपए है, लेकिन हरिद्वार नगर निगम के अधिकारियों ने ये जमीन 54 करोड़ रुपए में खरीदी थी। सबसे बड़ी बात ये है कि जमीन किस उद्देश्य से खरीदी गई, ये अभी तक भी स्पष्ट नहीं हुआ है।

बता दें कि कृषि भूमि को 143 में दर्ज कराया गया था। धारा 143 के तहत कृषि भूमि को गैर कृषि भूमि में बदला जाता है, यही नहीं हरिद्वार मेयर चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी किरण जैसल जीतीं और जैसे ही उन्होंने पद भार संभाला, तभी उनके सामने ये जमीन घोटाले का मामला आया। इसके बाद ये मामला सार्वजनिक हो गया, साथ ही विपक्ष ने भी इस मुद्दे को हवा दे दी। आखिर ये मामला सीएम धामी तक पहुंच गया।

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