काठमांडू। नेपाल के दोती जिले में बुधवार तड़के 6.3 तीव्रता के भूकंप की चपेट में आए एक घर के ढह जाने से कम से कम 6 लोगों की मौत हो गई। बुधवार की रात करीब 2 बजे भूकंप के तेज झटके दिल्ली और आसपास के इलाकों में भी महसूस किए गए।
एनसीएस के मुताबिक भूकंप काठमांडू से 53 किलोमीटर पूर्व में दोपहर करीब 2:52 बजे आया। भूकंप की गहराई जमीन से 10 किमी नीचे थी। राष्ट्रीय भूकंप निगरानी और अनुसंधान केंद्र (एनईएमआरसी) के अनुसार, 31 जुलाई को काठमांडू, नेपाल के 147 किमी ईएसई में सुबह 8.13 बजे खोतांग जिले के मार्टिम बिरता के आसपास 6.0 तीव्रता का भूकंप आया। पूर्वी नेपाल में 10 किमी पर भूकंप के केंद्र की गहराई की निगरानी की गई। जो 27.14 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 86.67 डिग्री पूर्वी देशांतर पर निर्धारित की गई थी।
पहले 2015 में, मध्य नेपाल में अपनी राजधानी काठमांडू और पोखरा शहर के बीच रिक्टर पैमाने पर 7.8 तीव्रता का एक उच्च तीव्रता वाला भूकंप आया था। अनुमान है कि इसमें 8,964 लोग मारे गए थे और 22,000 लोग घायल हुए थे।
बता दें कि भूकंप के झटके यूपी के लखनऊ, मुरादाबाद, मेरठ बरेली आदि शहरों में भी महसूस किए गए। वहीं एनसीआर के फरीदाबाद, गुरुग्राम, ग्रेटर नोएडा में भी झटके महसूस हुए। इस दौरान कई जगह लोग घरों से बाहर निकल आए। हालांकि राहत की बात यह है कि इन जगहों से किसी तरह की दुर्घटना की खबर नहीं आई।
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भूकंप ने भी उत्तर भारत के कई शहरों को हिलाकर रख दिया। लाहौर, पाकिस्तान, तिब्बत के ल्हासा और बांग्लादेश के ढाका में भी झटके महसूस किए गए। नेपाल में हाल ही में आए भूकंपों ने जान-माल की अभूतपूर्व क्षति की है और ऐसी आपदाओं के प्रबंधन के लिए सुनियोजित नीतिगत उपायों को लागू करने को जरूरी बना दिया है। 1934 में नेपाल को सबसे खराब दर्ज भूकंप का सामना करना पड़ा था। 8.0 तीव्रता के इस भूकंप में काठमांडू, भक्तपुर और पाटन के शहरों को नष्ट कर दिया।