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संत-सैनिक लेफ्टिनेंट जनरल हनुत सिंह की 92वीं जयंती पर भावभीनी श्रद्धांजलि

🔏 प्रमोद रावत: आज देहरादून स्थित तपस्थली एवं समाधि स्थल पर भारत के वीर सपूत, अद्वितीय योद्धा और संत-स्वरूप महापुरुष लेफ्टिनेंट जनरल हनुत सिंह जी की 92वीं जयंती के पावन अवसर पर एक भावगर्भित आयोजन संपन्न हुआ। इस अवसर पर उत्तराखंड सहित देश के विभिन्न हिस्सों से आए श्रद्धालुओं, सैन्य अधिकारियों, सैनिक परिवारों और उनके प्रशंसकों ने उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

कार्यक्रम का शुभारंभ वेद-मंत्रोच्चार, पूजा एवं भजन-कीर्तन से हुआ। तत्पश्चात जनरल हनुत सिंह जी के तपस्वी जीवन और शौर्यगाथा पर केंद्रित विशेष प्रस्तुति ने उपस्थित जनसमूह को भाव-विभोर कर दिया। देश के विभिन्न कोनों से युद्ध वीरों और उनके अधीन कार्य कर चुके अधिकारियों द्वारा रिकॉर्ड किए गए श्रद्धांजलि संदेशों ने जनरल जी के प्रति गहरी श्रद्धा और आदर को पुनः जीवंत कर दिया।

हरियाली अमावस्या के दिन जन्मे वीर, तप और सेवा के अद्वितीय प्रतीक संत-सैनिक हनुत सिंह जी का जन्म वर्ष 1933 में राजस्थान में हरियाली अमावस्या के पवित्र दिन हुआ था। अपने सैन्य जीवन में वे केवल एक अप्रतिम रणनीतिकार और कुशल कमांडर ही नहीं, अपितु एक ऐसे तपस्वी संत भी थे जिन्होंने देशभक्ति, आत्मनिष्ठा और ईश्वरीय साधना की त्रिवेणी में डूबा हुआ समर्पित जीवन जिया।

1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान उनके नेतृत्व में लड़ी गई “बसंतर की निर्णायक लड़ाई” आज भी सैन्य इतिहास का स्वर्णिम अध्याय मानी जाती है। ‘पूना हॉर्स रेजिमेंट’ की कमान संभालते हुए उन्होंने पाकिस्तान की 8वीं बख्तरबंद ब्रिगेड को परास्त कर अभूतपूर्व विजय दिलाई। इस वीरता के लिए उन्हें देश के दूसरे सर्वोच्च वीरता पुरस्कार ‘महावीर चक्र’ से सम्मानित किया गया।

एक सैन्य अधिकारी के शब्दों में: “शत्रु की मीडियम आर्टिलरी और टैंक फायर की भीषण वर्षा के बीच, लेफ्टिनेंट कर्नल हनुत सिंह संकटग्रस्त मोर्चों पर स्वयं पहुँचते रहे। उनकी निर्भीक उपस्थिति ने जवानों में ऐसा आत्मबल भरा कि वे असंभव को संभव करने में सफल हुए।”

आज जनरल हनुत सिंह जी को केवल युद्ध नायक के रूप में नहीं, बल्कि एक ऐसे संत-सैनिक के रूप में भी याद किया जाता है, जिनका सम्पूर्ण जीवन अनुशासन, विनम्रता, आध्यात्मिक साधना और देश सेवा की मिसाल बना। वे आधुनिक भारत के सबसे प्रतिष्ठित और सम्मानित सैन्य नेताओं में गिने जाते हैं। उनके द्वारा अपनाए गए कठोर प्रशिक्षण मानक, अनुशासित जीवनशैली और सैनिकों के प्रति संवेदनशील नेतृत्व आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं।

इस अवसर पर उपस्थित अनेक गणमान्यजनों और पूर्व सैन्य अधिकारियों ने कहा कि जनरल हनुत सिंह का जीवन दर्शन वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक दीपस्तंभ की तरह है, जहाँ वीरता और विनम्रता, शक्ति और साधना, कर्म और करुणा का अनुपम संगम है।

कार्यक्रम के समापन पर सभी श्रद्धालुओं ने उनके तपोमय जीवन को स्मरण करते हुए राष्ट्र और मानवता के कल्याण हेतु उनके दिव्य आशीर्वाद की कामना की।

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