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उत्तरखंड में जंगलों की आग पर हाईकोर्ट सख्त

  • वन विभाग में 60 प्रतिशत खाली पदों को भरने के दिए निर्देश

नैनीताल। हाइकोर्ट ने प्रदेश के जंगलों में लगी आग पर संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से पूछा है कि क्या राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए कृत्रिम बारिश कराना संभव है। इस दौरान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जंगलों की आग से निपटने के लिए स्थायी व्यवस्था करने के साथ ही कई अहम दिशा-निर्देश भी दिए। इन निर्देशों के साथ ही मुख्य न्यायाधीश आरएस चैहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने स्वतः संज्ञान में ली गई इन द मैटर ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ फॉरेस्ट एरिया, फॉरेस्ट हेल्थ एंड वाइल्ड लाइफ की जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सरकार को वन विभाग में खाली पड़े 60 प्रतिशत पदों को छह माह में भरने, ग्राम पंचायतों को मजबूत कर जंगलों की सालभर निगरानी करने, एनडीआरएफ-एसडीआरएफ को बजट मुहैया कराने, आग बुझाने में हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल करने तथा जंगलों की आग को दो सप्ताह में बुझाने के निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट ने इन निर्देशों को तत्काल लागू करने के लिए कहा है। हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में बुधवार को प्रदेश के प्रमुख वन संरक्षक (पीसीसीएफ) वर्चुअली उपस्थित हुए। इस दौरान पीसीसीएफ ने कोर्ट को विभाग की वनाग्नि से लड़ने की नीति और तकनीक के बारे में बताया। वहीं, पर्यावरण मित्रों ने कोर्ट को बताया कि 2017 में आग लगने पर एनजीटी ने 12 बिंदुओं पर एक गाइडलाइन जारी की थी, जिस पर आज तक सरकार ने कोई अमल नहीं किया है। इस पर हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए कि उस गाइडलाइन को छह माह के भीतर लागू करें।

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