नई दिल्ली। भारत सरकार ने शुक्रवार को कहा कि रिश्वतखोरी के आरोपों में उद्योगपति गौतम अडानी के खिलाफ जारी अरेस्ट वारंट के बारे में उसे अमेरिकी अधिकारियों से कोई अनुरोध नहीं मिला है। भारत सरकार की यह टिप्पणी अमेरिकी न्याय विभाग द्वारा गौतम अडानी के खिलाफ अभियोग की रिपोर्ट के बीच आई है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जैसवाल ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा, “यह एक कानूनी मामला है, जिसमें निजी कंपनियां और व्यक्ति शामिल हैं और यह अमेरिकी न्याय विभाग का मामला है।” उन्होंने यह भी कहा कि “इस तरह के मामलों में स्थापित प्रक्रियाएं और कानूनी रास्ते अपनाए जाएंगे।” भारत में किसी भी कानूनी कार्रवाई के लिए, जिसमें गिरफ्तारी वारंट का निष्पादन शामिल हो, अमेरिकी अधिकारियों को भारत के गृह मंत्रालय को सूचित करना आवश्यक होता है। गृह मंत्रालय तब संबंधित संघीय एजेंसियों को इस अनुरोध पर कार्रवाई करने के लिए निर्देशित कर सकता है।
MEA के प्रवक्ता ने कहा कि सरकार को इस मामले के बारे में पहले से सूचित नहीं किया गया था और न ही इस पर अमेरिकी अधिकारियों से कोई बातचीत हुई है। उन्होंने कहा, “किसी भी विदेशी सरकार द्वारा समन या गिरफ्तारी वारंट की सेवा के लिए अनुरोध आपसी कानूनी सहायता का हिस्सा होता है। ऐसे अनुरोधों को उनके गुण-दोष के आधार पर जांचा जाता है। इस मामले में हमें अमेरिका से कोई अनुरोध प्राप्त नहीं हुआ है।”
बता दें कि अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी और सहयोगी विनीत जैन पर अमेरिकी न्याय विभाग और अमेरिकी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) ने रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के मामले में आरोप लगाए हैं। अमेरिकी अदालत में दाखिल दस्तावेजों के अनुसार, अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (AGEL) के बांड ऑफरिंग दस्तावेजों में कथित तौर पर भ्रामक जानकारी देने और SEC दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के आरोप शामिल हैं।
हालांकि, भारत सरकार ने इस मामले पर कोई सीधी टिप्पणी नहीं की है। प्रवक्ता ने कहा कि वे इस मामले की जांच और उससे जुड़े घटनाक्रमों पर करीबी नजर रख रहे हैं। अडानी ग्रुप ने इस मामले में खुद को निर्दोष बताया है और सभी आरोपों को खारिज किया है। समूह का कहना है कि वह पूरी तरह से कानूनी प्रक्रिया का पालन करेगा।