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सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जोशीमठ मामला, शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने दायर की जनहित याचिका

जोशीमठ। उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। यहां करीब 603 घरों में दरारें आ चुकी हैं। वहीं जमीनें फंट रही हैं। हालात ऐसे बनते जा रहे हैं कि घर के घर कभी भी भरभराकर गिर सकते हैं। जोशीमठ के लोग बुरी तरह सहमे हुए हैं। जोशीमठ में ही एनटीपीसी पावर प्रोजेक्ट के टनल में निर्माण कार्य चल रहा है। अब ये मामला शनिवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है।

वहीं अब जोशीमठ भू-धंसाव को लेकर ज्योतिष्पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल की है। उन्होंने जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि ज्योतिर्मठ भी इसकी चपेट में आ रहा है। उन्होंने प्रदेश सरकार से भू-धंसाव से प्रभावित परिवारों को त्वरित राहत पहुंचाने और उनके पुनर्वास की समुचित व्यवस्था करने की मांग की है।
जगद्गुरु शंकराचार्य ने बताया कि मठ की दीवारों और फर्श पर भी दरारें आ गई हैं। विकास योजनाओं के इस बाई प्रोडक्ट को वजह से इस ऐतिहासिक सांस्कृतिक और प्राचीन धरोहर के अस्तित्व पर संकट आ गया है। याचिका में इस क्षेत्र की जनता के जन-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भूस्खलन, भू-धंसाव, भूमि फटने जैसी घटनाओं से निपटने के लिए उसे राष्ट्रीय आपदा की श्रेणी में घोषित करने की मांग की। इस संबंध में त्वरित और कारगर कदम उठाने के आदेश केंद्र और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को देने की गुहार लगाई गई है। शंकराचार्य ने कहा कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर जोशीमठ के हालातों की जानकारी देंगे, ताकि सकारात्मक पहल हो सके। प्राथमिकता से पीड़ितों का पुनर्वास कराया जा सके।

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