नई दिल्ली। समलैंगिकों के विवाह से जुड़ी एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। केंद्र ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जाएगा। यह समिति समलैंगिक जोड़ों की कुछ चिंताओं को दूर करने के लिए प्रशासनिक कदम उठाएगी। हालांकि यह समिति उनकी शादी को वैध बनाने के मुद्दे पर विचार नहीं करेगी।
बता दें कि मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ समान-लिंग विवाह को कानूनी मान्यता देने की याचिका पर सुनवाई कर रही है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने SC को अवगत कराया कि समलैंगिक जोड़े के सामने आने वाले मुद्दों को देखने के लिए कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जाएगा. एसजी मेहता का कहना है कि याचिकाकर्ता सुझाव दे सकते हैं ताकि समिति इस पर ध्यान दे सके।
इससे पहले, 27 अप्रैल को इस मामले की सुनवाई करते हुए, शीर्ष अदालत ने केंद्र से पूछा था कि क्या समलैंगिक जोड़ों को, बिना कानूनी रूप से मान्य शादी के सामाजिक कल्याण लाभ दिया जा सकता है। अदालत ने केंद्र से यह सवाल यह समझने के बाद किया था कि केंद्र सरकार सेम सेक्स रिलेशनशिप को वैध मानती है। जिसके तहत सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह सेम सेक्स रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों को होने वाली सामाजिक परेशानी को दूर करने के लिए जरूरी कदम उठाये। कोर्ट ने अपनी समीक्षा में कहा था कि समाजिक सुरक्षा इस तरह के रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों का मौलिक अधिकार और सरकार का ‘संबंधित कर्तव्य’ है।