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अलविदा ‘एमडीएच अंकल’ : तांगे से 1000 करोड़ की ‘महाशया दी हट्टी’ तक का रहा शानदार सफर

नई दिल्ली। दुनियाभर में प्रसिद्ध मसाला ब्रांड ‘एमडीएच’ के मालिक ‘महाशय’ धर्मपाल गुलाटी ने आज गुरुवार सुबह 98 वर्ष की उम्र में आखिरी सांस ली। महाशय धर्मपाल गुलाटी को ‘एमडीएच अंकल’, ‘दादाजी’, ‘मसाला किंग’ और ‘मसालों के राजा’ के नाम से जाना जाता था। वह मसाला ब्रांड ‘एमडीएच’ (महाशया दी हट्टी) के मालिक और सीईओ थे। विभाजन के बाद पाकिस्तान से भारत में आकर बसे गुलाटी ने तांगे से अपनी आजीविका शुरू की थी और आज वह 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा के कारोबार वाली अपनी कंपनी छोड़कर इस दुनिया से कूच कर गए। धर्मपाल का जन्म 1919 में पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था। सियालकोट में उनके पिता ने साल 1919 में ही ‘महाशिया दी हट्टी’ नाम से एक मसाले की दुकान खोली थी। उनके पिता वहां पर मसाले बेचा करते थे। हालांकि 1947 में विभाजन के बाद उनका परिवार भारत आ गया। गुलाटी परिवार दिल्ली शिफ्ट हो गया। जब गुलाटी अपने बहनोई के साथ दिल्ली पहुंचे, तब उन्होंने अपने पिता द्वारा दिए गए पैसे से तांगा खरीदा। जब उनका व्यवसाय अच्छा नहीं चला तो उन्होंने एक छोटी सी दुकान खोलने का फैसला किया और करोल बाग में मसाले बेचने के अपने परिवार के व्यवसाय को फिर से शुरू किया। धीरे-धीरे व्यापार चल पड़ा। इसके बाद 1953 में गुलाटी ने चांदनी चौक में एक दुकान किराए पर ली, जिसका नाम ‘महाशया दी हट्टी’ (एमडीएच) रखा और उन्होंने मसालें बेचना शुरू किया। जो आगे चलकर एमडीएच कंपनी बन गई। धर्मपाल ने 1959 में एमडीएच कंपनी की स्थापना की। इसके लिए उन्होंने कीर्ति नगर में जमीन खरीदी और एक विनिर्माण इकाई स्थापित की।
उनका व्यापार भारत में ही नहीं पनपा बल्कि गुलाटी मसालों के एक वितरक और निर्यातक भी बन गए। वर्तमान में एमडीएच मसाले लगभग 50 विभिन्न प्रकार के मसालों का निर्माण करते हैं। कंपनी की देशभर में 15 फैक्ट्रियां हैं और वह दुनियाभर में अपने उत्पाद बेचती हैं। जिसमें इंग्लैंड, यूरोप, यूएई, कनाडा जैसे देश शामिल हैं। गुलाटी वर्ष 2017 में भारत में सबसे अधिक वेतन पाने वाले एफएमसीजी (फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स) सीईओ बने। 
एमडीएच कंपनी उत्तर भारत के 80 प्रतिशत बाजार पर कब्जे का दावा करती है। धर्मपाल गुलाटी अपने उत्पादों का प्रचार खुद ही करते थे। अक्सर आपने उन्हें टीवी पर अपने मसालों के बारे में बताते हुए देखा होगा। उन्हें दुनिया का सबसे उम्रदराज एड स्टार माना जाता था। देशभर में लोग उन्हें ‘एमडीएच अंकल’ के नाम से जानते हैं। 
धर्मपाल गुलाटी ने सिर्फ पांचवीं कक्षा तक पढ़ाई की। आगे की शिक्षा के लिए वह स्कूल नहीं गए। धर्मपाल गुलाटी को भले ही किताबी ज्ञान अधिक ना हो, लेकिन बिजनेस क्षेत्र में बड़े-बड़े दिग्गज उनका लोहा मानते थे।धर्मपाल को लेकर कहा जाता है कि वह अपने वेतन का 90 फीसद हिस्सा दान कर देते थे। एक बार उन्होंने कहा था कि काम करने की मेरी प्रेरणा सस्ती कीमतों पर बेचे जाने वाले उत्पाद की गुणवत्ता में ईमानदारी से है और मेरे वेतन का लगभग 90 फीसदी एक चैरिटी में जाता है। 
गुलाटी ने अपने पिता के नाम पर एक धर्मार्थ ट्रस्ट भी बनाया है जो झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों के लिए 250 बेड का अस्पताल चलाता है। साथ ही गरीबों के लिए चार स्कूल भी चलाता है। अपनी उम्र के बावजूद धर्मपाल व्यवसाय के सभी बड़े फैसले लेते थे। वह अपनी कंपनी और उत्पाद के लिए तीन पहलुओं को बेहद महत्वपूर्ण मानते थे, जिसमें ईमानदारी से काम, गुणवत्ता वाले उत्पाद, और सस्ती कीमतें शामिल हैं। गुलाटी कंपनी में लगभग 80 प्रतिशत हिस्सेदारी के मालिक थे। वह नियमित रूप से अपने कारखाने और बाजार का दौरा करते थे।
वर्ष 2019 में धर्मपाल गुलाटी उन 112 विशिष्ट लोगों में शामिल थे, जिन्हें पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। व्यापार और उद्योग में उल्लेखनीय योगदान देने के लिए पिछले साल उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मभूषण से नवाजा था।

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