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नैनीताल हाई कोर्ट ने यूपी-उत्तराखंड के अधिकारी किए तलब, जानें क्या है पूरा मामला

नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कालागढ़ में कार्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) के कोर जोन में सिंचाई विभाग की भूमि पर काबिज अतिक्रमणकारियों के पुनर्वास के मामले में मंगलवार को सुनवाई करते हुए वित्त, राजस्व और सिंचाई सचिवों के साथ ही उत्तर प्रदेश के अधिकारियों को 21 मार्च को अदालत में वर्चुअल पेश होने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने सरकारी कर्मचारियों और पेंशनधारियों को हटाने की छूट जिला प्रशासन को दे दी है। कालागढ़ जन कल्याण उत्थान समिति की ओर से दायर जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश जी. नरेन्द्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ में सुनवाई हुई।

पौड़ी के जिलाधिकारी आशीष चौहान अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश हुए और उन्होंने अनुपालन रिपोर्ट अदालत में पेश की। रिपोर्ट में कहा गया था कि वहां पर तीन तरह के लोग निवास कर रह रहे हैं। इनमें कुछ कर्मचारी अभी कार्य कर रहे हैं। इसके अलावा सेवानिवृत्त कर्मचारी, उनके परिजन, मजदूर, दुकानदार, ठेकेदार और माल सप्लायर हैं।

इनको विस्थापित करने के लिए उनके द्वारा अपनी रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेज दी गई है। यही नहीं यहां पर यूपी सरकार की भूमि भी है। इस कारण यूपी सरकार से भी अनुमति लेनी जरूरी है। जिस पर हाईकोर्ट ने उत्तराखंड और यूपी सरकार के अधिकारियों को वीसी के माध्यम से 21 मार्च को कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए हैं।

कालागढ़ जन कल्याण उत्थान समिति ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि तत्कालीन यूपी सरकार ने 1960 में कालागढ़ डैम बनाने के लिए वन विभाग की कई हजार हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण कर सिंचाई विभाग को दी थी। डैम बनने के बाद कई हेक्टेयर भूमि वन विभाग को वापस की गई, लेकिन शेष बची जमीन पर सेवानिवृत्त कर्मचारियों व अन्य लोगों का कब्जा है। अब राज्य सरकार 213 लोगों को विस्थापित कर रही है।

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