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पहाड़ की अस्मिता के लिए फिर एक बार गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी की गुहार!

देहरादून। उत्तराखंड की संस्कृति, सभ्यता और अस्मिता की रक्षा के लिए अगर किसी ने अपनी पूरी जिंदगी समर्पित की है, तो वह हैं गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी। संगीत की दुनिया में एक मील का पत्थर, और पहाड़ की आवाज़ के रूप में उभरे नरेंद्र सिंह नेगी ने हमेशा अपने गीतों और शब्दों के जरिए पहाड़ी समाज के मुद्दों को उठाया है। अब एक बार फिर उन्होंने अपनी आवाज बुलंद की है, और इस बार उनकी गुहार है – पहाड़ की अस्मिता के लिए, पहाड़ के अधिकारों के लिए!

6 मार्च 2025 को रामलीला मैदान, गैरसैंण में आयोजित ‘पहाड़ी स्वाभिमान रैली’ में नेगी जी ने एक बार लोगों से एकजुट एकमुठ होने की अपील की है। नेगी जी ने हमेशा अपने गीतों के माध्यम से पहाड़ के दर्द और उसके संघर्ष को व्यक्त किया है।

उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति, यहां की आर्थिक स्थिति, शिक्षा और स्वास्थ्य के स्तर पर जो समस्याएं हैं, वह आज भी बरकरार हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में बेरोजगारी, पलायन, स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव, और बुनियादी सुविधाओं का घोर संकट अभी भी पहाड़वासियों के जीवन का हिस्सा बना हुआ है। नरेंद्र सिंह नेगी इस बात को बार-बार अपनी गीतों और वक्तव्यों में प्रमुखता से उठाते रहे हैं। उनके अनुसार, जब तक पहाड़ के लोग अपनी अस्मिता और अधिकारों के लिए आवाज़ नहीं उठाएंगे, तब तक उन्हें वह सम्मान और अवसर नहीं मिलेंगे जिनके वे हकदार हैं।

गैरसैंण में आयोजित यह रैली न केवल पहाड़ की राजनीति का अहम हिस्सा है, बल्कि यहां से उठाई गई आवाज़ पूरे राज्य के भविष्य की दिशा तय करने वाली हो सकती है। नरेंद्र सिंह नेगी जी केवल एक गायक ही नहीं, बल्कि एक समाज सुधारक और राजनीतिक आवाज़ भी हैं। उनके गीत न केवल पहाड़ी जीवन की छवि प्रस्तुत करते हैं, बल्कि यह भी बताते हैं कि कैसे पहाड़वासियों ने हमेशा कठिनाइयों का सामना किया है, लेकिन फिर भी उन्होंने अपनी अस्मिता को कभी नहीं खोया।

यह रैली न केवल उत्तराखंड के पहाड़ी जनमानस से अपील करेगी, बल्कि यह एक सशक्त संदेश भी देगी कि पहाड़ी समाज को अपनी अस्मिता और अधिकारों के लिए एकजुट होना होगा। यह रैली केवल एक मंच नहीं है, बल्कि यह पहाड़वासियों के दिलों में बसी हुई उम्मीदों और संघर्षों का प्रतीक है। नेगी जी का यह प्रयास यह भी सुनिश्चित करेगा कि पहाड़ की आवाज़ राष्ट्रीय स्तर पर सुनी जाए और पहाड़वासियों को वह सम्मान मिले, जिसका वे हकदार हैं।

6 मार्च 2025 की यह रैली उत्तराखंड के पहाड़ी समाज के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हो सकती है। राज्य बनने के बाद राज्य बचाने के लिए गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी की यह पहल पहाड़ की अस्मिता की रक्षा, उसकी पहचान की सुरक्षा और उसके अधिकारों की बहाली के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। अब यह उत्तराखंडवासियों पर निर्भर करेगा कि वे इस बुलंद आवाज़ को सुनते हुए कैसे पहाड़ के स्वाभिमान को सशक्त बनाते हैं।

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