नई दिल्ली। सनातन धर्म में पितृ पक्ष को महत्वपूर्ण माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दौरान पितरों का श्राद्ध करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और जातक को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। पंचांग के अनुसार, इस साल पितृ पक्ष की शुरुआत 17 सितंबर (Kab Se Hai Pitru Paksha 2024) से होगी। वहीं, इसका समापन 02 अक्टूबर को होगा। ऐसे में पितृ पक्ष के प्रारंभ होने से पहले जान लेते हैं कि पितरों का श्राद्ध कैसे किया जाता है।
ज्योतिषाचार्य डॉ.उमाशंकर मिश्र ने बताया कि कुंडली के पितृ दोष को दूर करने के लिए यह सबसे उपयुक्त समय है। इन दिनों पितरों की कृपा पाने और उनको खुश करने के लिए तमाम उपाय भी किए जाते हैं। इसके साथ-साथ पितरों की पूजा करने का भी समय नियत है। अगर इस समय पितरों का पिंडदान, तर्पण किया जाए तो पूजा सफल होती है और उनका आर्शावाद भी प्राप्त होता है।
श्राद्धकर्म करना किस समय रहेगा उपयुक्त…
उन्होंने कहा कि हिंदू शास्त्र के अनुसार पितृपक्ष में सुबह और शाम के समय देवी-देवताओं की पूजा करनी चाहिए, जबकि दोपहर का समय पितरों को समर्पित होता है. इसलिए पितरों का श्राद्ध केवल दोपहर के समय करना ही उत्तम होता है. पितृपक्ष में जातक किसी भी तिथि पर दोपहर 12 बजे के बाद श्राद्धकर्म कर सकते हैं. इस दौरान पितरों का तर्पण करें, ब्राह्मणों को भोजन कराएं, दान-दक्षिणा दें, श्राद्ध के दिन कौवे, चींटी, गाय और कुत्ते को भोग लगाएं.
ये हैं तिथियां…
पूर्णिमा का श्राद्ध 17 सितंबर 2024 मंगलवार
प्रतिप्रदा का श्राद्ध 18 सितंबर 2024, बुधवार
द्वितिया का श्राद्ध 19 सितंबर 2024, गुरुवार
तृतीया का श्राद्ध 20 सितंबर 2024, शुक्रवार
चतुर्थी का श्राद्ध 21 सितंबर 2024, शनिवार
पंचमी का श्राद्ध 22 सितंबर 2024, रविवार
षष्ठी का श्राद्ध 23 सितंबर 2024, सोमवार
सप्तमी का श्राद्ध 23 सितंबर 2024, सोमवार
अष्टमी का श्राद्ध 24 सितंबर 2024, बुधवार
नवमी का श्राद्ध 25 सितंबर 2024, गुरुवार
दशमी का श्राद्ध 26 सितंबर 2024, शुक्रवार
एकादशी का श्राद्ध 27 सितंबर 2024, शुक्रवार
द्वादशी का श्राद्ध 29 सितंबर 2024, रविवार
मघा का श्राद्ध 29 सितंबर 2024, रविवार
त्रयोदशी का श्राद्ध 30 सितंबर 2024, सोमवार
चतुर्दशी का श्राद्ध 1 अक्टूबर 2024, मंगलवार
सर्वपितृ का श्राद्ध 2 अक्टूबर 2024, बुधवार