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आज कैंची धाम का स्थापना दिवस, बाबा नीम करौली के दरबार में उमड़ा आस्था का सैलाब, देखें तस्वीरें

नैनीताल। विश्व प्रसिद्ध बाबा नीब करौरी महाराज के कैंची धाम में आस्था का सैलाब देखने को मिल रहा है। धाम के स्थापना दिवस के मौके पर बड़ी संख्या में भक्त कैंची धाम पहुंचे हैं। कैंची धाम में सुबह 5.30 बजे बाबा नीब करौरी महाराज को भोग लगाने के बाद मालपुए का प्रसाद बंटना शुरू हो गया है।

Kainchi Dham Mela: कैंची धाम का 59वां स्थापना दिवस, तीन लाख से ज्यादा  भक्तों ने टेका मत्था - Today is the 59th foundation day of Neem Karoli Baba  Kainchi Dham Thousands of

मंदिर समिति के प्रबंधक प्रदीप साह ने बताया कि बाबा को भोग लगाने के साथ मेला शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि रात 9 बजे तक मालपुए का प्रसाद बंटेगा। उन्होंने कहा कि इस बार 2 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है। साथ ही अभी तक पांच हजार से अधिक लोग प्रसाद लेकर लौट चुके हैं। इस बार का कैंची मेला ऐतिहासिक होने जा रहा है। इसका अंदाजा कैंची मेले से एक दिन पहले शुक्रवार की शाम को यहां पहुंचे 10 हजार से अधिक श्रद्धालुओं को देखकर लगाया जा सकता है। शुक्रवार की शाम को देश के कोने-कोने से पहुंचे 20 हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं ने रात भर हनुमान चालीसा का पाठ किया। बाबा के जयकारों से कैंची धाम गूंज उठा। मंदिर समिति की ओर से 10 हजार से अधिक श्रद्धालुओं को भोजन कराया गया। सुबह से शाम तक मंदिर में बाबा नीब करौरी महाराज के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही।

कैंची धाम स्थापना दिवस : बाबा नीब करौरी महाराज के दर पर आस्था का सैलाब -  GKM News

नैनीताल-अल्मोड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित कैंची धाम लाखों लोगों की आस्था का केन्द्र है। ये स्थान बाबा नीब करौरी की तपोस्थली रही है। मोबाइल तकनीक की दुनिया को नए आयाम तक पहुंचाने वाले एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स को इसी धाम से प्रेरणा मिलने के बाद दुनिया में क्रांति आई थी। कैंची धाम के भक्तों में फेसबुक के संस्थापक मार्क जकरबर्ग से लेकर देश-विदेश की कई बड़ी-बड़ी हस्तियां शामिल हैं।

नैनीताल जनपद के कैंची धाम मंदिर में 1973 में स्टीव जॉब्स अपने मित्र डैन कोटके के साथ बाबा नीब करौरी महाराज के दर्शन करने आए थे। बाबा के 11 सितम्बर 1973 को शरीर त्यागने के कारण स्टीव को दर्शन तो नहीं हो सके, लेकिन कैंची मंदिर में बाबा की मूर्ति और यहां के आधात्म ने उन्हें जरूर प्रेरित किया। स्टीव ने वापस लौटकर पूरी मेहनत और लगन से फील्ड में काम करना शुरू कर दिया। जिसके बाद उन्हें इससे काफी बड़ी सफलता हासिल हुई। जिसके बाद स्टीव जॉब्स एप्पल के संस्थापक बने और उनका डंका दुनिया में बजने लगा था।

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