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पाकिस्तान-तुर्की गठजोड़ में हुए नए खुलासे, भारत के खिलाफ ड्रोन ऑपरेट कर रहे थे टर्किश सैनिक

नई दिल्ली। भारत-पाकिस्तान की लड़ाई में तुर्की की संलिप्ततता किसी से छिपी नहीं है। तुर्की ने बड़े पैमाने पर ड्रोन देकर पाकिस्तान की मदद की जिसे भारत के खिलाफ हमले के लिए इस्तेमाल किया गया। अब दोनों देशों के इस गठजोड़ को लेकर नई जानकारियां सामने आई हैं। खुफिया सूत्रों के अनुसार तुर्की ने पाकिस्तान की भारत पर हमलों में खुलकर मदद की जिसमें न केवल 350 से अधिक ड्रोन भेजे गए, बल्कि तुर्की के सैन्य अधिकारी भी सीधे तौर पर पाकिस्तान में तैनात किए गए । सूत्रों ने बताया कि तुर्की के दो सैन्य अधिकारी “ऑपरेशन सिंदूर” के दौरान मारे भी गए जो भारत की ओर से किए गए जवाबी सैन्य अभियान का कोडनेम है।

क्या है ऑपरेशन सिंदूर

“ऑपरेशन सिंदूर” भारत द्वारा पाकिस्तानी हमलों के जवाब में चलाया गया एक व्यापक सैन्य अभियान था, जिसमें भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के कई सैन्य ठिकानों, एयरबेस और ड्रोन लॉन्च साइट्स पर प्रिसिशन स्ट्राइक किए। इसी ऑपरेशन के दौरान भारतीय खुफिया एजेंसियों को पता चला कि पाकिस्तान की ड्रोन स्ट्रैटेजी में तुर्की की भूमिका काफी गहरी थी।

तुर्की के ड्रोन और सैन्य सलाहकार

सूत्रों के अनुसार, तुर्की ने पाकिस्तान को न केवल अपने आधुनिक Bayraktar TB2 और Anka ड्रोन प्रदान किए, बल्कि उनके संचालन और दिशा-निर्देशन के लिए प्रशिक्षित सैन्य सलाहकारों की एक टीम भी इस्लामाबाद भेजी। पाकिस्तान की ओर से इन ड्रोन का प्रयोग भारतीय सैन्य ठिकानों, सीमावर्ती रडार स्टेशनों,और पंजाब के अमृतसर, गुरदासपुर व जम्मू क्षेत्रों में किया गया था। इनमें से कई ड्रोन को भारतीय सेना ने सफलतापूर्वक मार गिराया और उनके मलबे की तस्वीरें भी सार्वजनिक की गईं।

सेना ने जारी की पाकिस्तानी ड्रोन के मलबे की तस्वीरें

भारतीय सेना ने अमृतसर में मार गिराए गए पाकिस्तानी ड्रोन के मलबे की तस्वीरें जारी की हैं, जो यह पुष्टि करती हैं कि यह तुर्की में निर्मित तकनीक है। इनमें से कई ड्रोन पर तुर्की में बनी इलेक्ट्रॉनिक चिप्स और इमेजिंग सिस्टम पाए गए, जिससे तुर्की की प्रत्यक्ष भागीदारी की पुष्टि होती है।तुर्की की इस भूमिका ने न केवल भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति पर भी असर डाल सकता है। भारत के रणनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि तुर्की का यह कदम सीधे तौर पर दक्षिण एशिया की स्थिरता के लिए खतरा है।

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