देहरादून। रातभर चली कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के इस्तीफे की चर्चाओं के बीच आज शनिवार को खबर आई है कि हरक ‘कोपभवन’ से बाहर आ गये हैं और अब इस्तीफा नहीं देंगे। उनकी नाराजगी दूर हो गई है। उनका बयान आ गया है। वहीं रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ ने भी कहा है कि हरक की नाराजगी मेडिकल कॉलेज को लेकर थी जो अब दूर हो गई है।
आज शनिवार की सुबह काऊ मीडिया से मुखातिब हुए। उन्होंने बताया कि हरक की नाराजगी दूर हो गई है। हरक सिंह के पास वन एवं पर्यावरण, श्रम एवं आयुष मंत्रालय है। हालांकि उनके इस्तीफे की आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई थी। भाजपा ने भी उनके इस्तीफे से इनकार किया था। हालांकि त्यागपत्र का धमाका कर हरक अंडर ग्राउंड हो गए थे। उनके कुछ समर्थक उनके इस्तीफे का दावा करते दिखे, लेकिन आधिकारिक रूप से किसी ने भी पुष्टि नहीं की। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के देहरादून दौरे से ठीक दो दिन पहले हरक के इस्तीफे की खबर ने दून से दिल्ली तक भाजपा में हड़कंप मचा दिया था। देर रात सियासी हलकों में चर्चा तैरती रही कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने डॉ. हरक सिंह रावत से फोन बात की।
उनके करीबी माने जाने वाले विजय सिंह चौहान ने कहा था कि हरक सिंह ने इस्तीफा दे दिया है। कैबिनेट ब्रीफिंग में पहुंचे शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने हरक सिंह की नाराजगी पुष्टि तो की, लेकिन इस्तीफे से जुड़े सवाल को वह टाल गए। उधर मीडिया में हरक के इस्तीफे की खबर ने भाजपा में हड़कंप मचा दिया। दिल्ली से लेकर दून तक फोन घनघनाने लगे। मीडिया से इस्तीफे की पुष्टि करने का प्रयास होता रहा। संपर्क करने पर पार्टी के प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने कहा कि हरक सिंह ने कोई इस्तीफा नहीं दिया। उन्होंने पार्टी विधायक उमेश शर्मा के इस्तीफे की खबर को सिरे से खारिज किया।
पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने काऊ से बात की। पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने बताया कि पार्टी विधायक काऊ ने डॉ. निशंक को आश्वस्त किया कि उन्होंने पार्टी से इस्तीफा नहीं दिया है। वह भाजपा के सच्चे सिपाही हैं। इस्तीफे की बात टीवी चैनलों की सुर्खी बनने के बाद खबर आई कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हरक सिंह रावत से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन उनका फोन स्विच ऑफ था। चर्चा है कि शाह ने पार्टी विधायक उमेश शर्मा काऊ के माध्यम से हरक सिंह रावत से बात की और उनकी हर समस्या के समाधान का भरोसा दिया। हालांकि सियासी जानकारों का कहना है कि हरक सिंह रावत के तेवरों को भांपना मुश्किल ही नहीं, बल्कि नामुमकिन है और कोपभवन में आने जाने का यह एपिसोड चलता ही रहेगा।
