देहरादून। अपने प्रेमी को बचाने के लिए बेटी ने अपने पिता पर ही दुष्कर्म का आरोप लगा दिया था। करीब दो साल मुकदमा चला। इसके बाद कोर्ट ने बेटी के लगाए इस कलंक से पिता को आजाद कर दिया। अदालत ने माना कि पीड़िता ने अपने पिता से नफरत के चलते यह आरोप लगाया था।
बचाव पक्ष के अधिवक्ता आशुतोष गुलाटी ने बताया कि ऋषिकेश कोतवाली में जुलाई 2020 को मुकदमा कराया गया था। शुरू में पीड़िता के पिता ने दो युवकों के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया था। बताया था कि इन युवकों ने बेटी के साथ नशीला पदार्थ खिलाकर दुष्कर्म किया है। इसके बाद पुलिस ने पीड़िता का मेडिकल और फिर मजिस्ट्रेटी बयान दर्ज कराए। इस दौरान वह अपने मौखिक बयानों से पलट गई। उसने आरोपियों में से एक युवक को अपना प्रेमी बताया था और कहा था कि वह उससे शादी करना चाहती है। इससे पीड़िता ने अपने पिता पर ही आरोप लगाया कि वह उससे कई महीनों से दुष्कर्म करता आ रहा है। अब उसका पिता इन युवकों को फंसाने की बात कर रहा था।
इन बयानों के बाद पुलिस ने पीड़िता के पिता को दुष्कर्म का आरोपी मानते हुए कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। ट्रायल शुरू हुआ तो सात गवाह पेश किए गए। बचाव पक्ष की दलीलों को भी कोर्ट ने सुना। कोर्ट ने माना कि पीड़िता के बयानों में विरोधाभास है। पीड़िता आरोपियों में से एक से शादी करना चाहती थी। उसके पिता ने जब इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया तो पीड़िता ने उसे बचाने के लिए अपने पिता पर ही दुष्कर्म का आरोप लगाया है। इस मामले में संदेह का पूरा लाभ पीड़िता के पिता को देते हुए कोर्ट ने उसे बरी कर दिया। उधर जिस युवक के खिलाफ पीड़िता के पिता ने मुकदमा दर्ज कराया था, उससे उनकी बेटी शादी कर चुकी है। यह शादी भी उसने कोर्ट के ट्रायल के दौरान ही की। पीड़िता अपने पति के साथ रह रही है।
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