मसूरी। आज सोमवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में सिविल मिलिट्री ट्रेनिंग प्रोग्राम का शुभारंभ किया। ’28वें संयुक्त नागरिक-सैन्य प्रशिक्षण कार्यक्रम’ के उद्घाटन समारोह में राजनाथ ने कहा कि नागरिक-सैन्य समन्वय महत्वपूर्ण है। हम सशस्त्र बलों में पूरी तरह से संयुक्तता स्थापित करेंगे।
उन्होंने कहा कि देश में ही रक्षा उपकरण तैयार किए जा रहे हैं और आने वाले समय में भारत को रक्षा उपकरण खरीदने के लिए दुनिया के दूसरे देशों पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। भारत कभी किसी देश के साथ युद्ध नहीं चाहता और आज तक भारत ने किसी दूसरे देश की जमीन पर कब्जा नहीं किया है। भारत ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना में विश्वास करता है, लेकिन भारतीय सेना देश की सीमाओं की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहती है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि सेनाओं के आधुनिकीकरण और रक्षा क्षेत्र की आत्मनिर्भरता के लिए जो-जो कदम उठाए गए हैं, उनके परिणाम हमारे सामने आने शुरू हो गए हैं। वर्तमान में हम न केवल अपने लिए मिलिट्री के साजो-सामान तैयार कर रहे हैं, बल्कि दूसरे देशों की जरूरतों को पूरा करने के लिए भी उत्पादन को और बढ़ा रहे हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर परिकल्पना अब पहले की अपेक्षा अब बहुत व्यापक हो गया है। चुनौतियों से एकजुट होकर लड़ना है।
उन्होंने अकादमी के प्रशिक्षुओं से कहा कि आप सभी लोगों को देश की रक्षा के लिए और विकास के लिए संयुक्त रूप से काम करना है। आजकल देश के सामने मात्र मिलिट्री क्षेत्र में चुनौती नहीं है, बल्कि अलग-अलग टेक्नोलॉजिकल, इंटरनल सिक्योरिटी हैं। सभी चुनौतियों के लिए भी सभी को एकजुट होकर काम करना है, इससे देश को मजबूत बनाया जा सकता है।
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