देहरादून। उत्तराखंड में मानसून की अब आधिकारिक रूप से विदाई हो गई है। इस बार के मानसून ने उत्तराखंड में भारी तबाही मचाई। पिछले साल के मुताबिक इस साल प्रदेश में 10% अधिक बारिश हुई है। मानसून की विदाई के बाद अब प्रदेश के पहाड़ी और मैदानी इलाकों में ठंड सुबह और शाम की बढ़ने लगी है। इस बार मानसून के महीने के दौरान केदारनाथ से लेकर कुमाऊं के पिथौरागढ़, अल्मोड़ा में बड़ी तबाही हुई है। उत्तराखंड में 15 जून के बाद आई आपदा ने गहरे जख्म दिए हैं। आपदा में 82 लोगों की मौत हुई है जिसने से 50 लोगों की मौत 31 जुलाई के बाद हुई है।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के मुताबिक, आपदा से सबसे ज्यादा रुद्रप्रयाग में 20 लोगों की मृत्यु हुई। ऊधम सिंह नगर में 10 और नैनीताल, चमोली और चंपावत जिले में आठ-आठ लोगों की जान गई।
बता दें कि देहरादून में सात, टिहरी में छह और पिथौरागढ़ जिले में चार की मौत हुई। अल्मोड़ा, पौड़ी और हरिद्वार में तीन-तीन लोगों की मौत हुई। उत्तरकाशी में दो लोगों की मौत हुई थी। आपदा में 37 घायल भी हुए। वहीं, आपदा के कारण 28 लोग लापता हो गए। राज्य सरकार की तरफ से साल 2013 के बाद इस बार मानसून में सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया। इस ऑपरेशन में 16000 से ज्यादा लोगों को हेलीकॉप्टर और अलग-अलग माध्यमों से बचाया गया। इस आपदा में लगभग छह लोगों की मौत भी हुई। अभी भी कुछ लोग लापता बताए जा रहे हैं। मानसून के दौरान सबसे अधिक मौत इस बार रुद्रप्रयाग केदारनाथ मार्ग पर ही हुई।