उत्तराखंड सरकार ने एक बेहद संवेदनशील और ज़रूरी फैसले की घोषणा की है। अगर कोई नाबालिग बच्ची दुष्कर्म की वजह से गर्भवती हो जाती है, तो अब उसकी देखभाल और ज़रूरतों की जिम्मेदारी राज्य सरकार उठाएगी। इस निर्णय का मकसद पीड़ित बच्चियों को सहारा देना और उन्हें सुरक्षित माहौल में जरूरी मदद पहुंचाना है।
इस समय राज्य में दुष्कर्म का शिकार होकर मां बनने वाली किशोरियों की संख्या 72 है। इस वित्तीय वर्ष में तीन जिलों के लिए एक-एक लाख रुपये का बजट जारी हो चुका है। महिला एवं बाल कल्याण निदेशक प्रशांत आर्या ने बताया कि विभाग ने केंद्र सरकार की 100 प्रतिशत वित्त पोषित योजना के तहत पीड़ितों की देखभाल और सहायता के लिए व्यापक कार्यक्रम शुरू किया है।
इसमें शिक्षा, पुलिस सहायता, चिकित्सा, दीर्घकालिक पुनर्वास जैसी आवश्यक सेवाओं के साथ-साथ नवजात शिशु की देखभाल भी शामिल है। इसके तहत पीड़िता को परामर्श और मानसिक स्वास्थ्य सहायता, सुरक्षित परिवहन, कानूनी सहायता, मां-बच्चे के लिए बीमा कवर, मिशन वात्सल्य योजना के तहत संस्थागत या गैर-संस्थागत देखभाल व सहायक की सुविधाएं उपलब्ध होंगी। प्रतिमाह चार हजार की वित्तीय सहायता के अलावा बाल कल्याण समिति की रिपोर्ट पर एकमुश्त छह हजार रुपये की सहायता राशि भी दी जाएगी।
सरकार का यह कदम न सिर्फ मानवीय संवेदनाओं से जुड़ा है, बल्कि यह एक सकारात्मक सामाजिक संदेश भी देता है कि पीड़ित बच्चियों को अकेला नहीं छोड़ा जाएगा। अधिकारीयों ने बताया कि इस योजना का क्रियान्वयन महिला एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से किया जाएगा और पूरी निगरानी रखी जाएगी कि मदद सही तरीके से उन बच्चियों तक पहुँचे जिन्हें इसकी ज़रूरत है। इस योजना से जुड़े और भी कई पहलुओं की जानकारी जल्द ही सरकार द्वारा जारी की जाएगी। यह फैसला उत्तराखंड में ऐसे मामलों में एक नई उम्मीद की किरण लेकर आया है।