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अब ‘काले का डांडा’ नाम से जाना जाएगा लैंसडौन!

देहरादून। पौड़ी जिले में स्थित सैन्य छावनी क्षेत्र लैंसडौन का नाम बदलकर ‘काले का डांडा (अंधेरे में डूबा पहाड़)’ हो जाएगा। अब 100 साल से भी अधिक पुराने लैंसडौन का नाम बदलने की तैयारी है।
पौड़ी जिले में छावनी परिषद क्षेत्र लैंसडाउन का नाम बदलने को लेकर रक्षा मंत्रालय ने प्रस्ताव मांगा है। 132 साल पहले ब्रिटिश शासन के दौरान हिल स्टेशन लैंसडाउन का ये नाम रखा गया था। गढ़वाल राइफल्स का केंद्र माने जाने वाले लैंसडाउन अंग्रेजों द्वारा बसाया गया शहर है जो ब्रिटिशकालीन सेना की याद दिलाता है। ऐसे में लैंसडाउन का नया नाम कालू का डांडा हो सकता है. कालू का डांडा का मतलब अंधेरे में डूबा पहाड़ होता है।
आर्मी हेड क्वार्टर ने सब एरिया उत्तराखंड से ब्रिटिश काल में छावनी क्षेत्रों की सड़कों, स्कूलों, संस्थानों, नगरों और उप नगरों के नाम बदलने के प्रस्ताव मांगे हैं। इससे पहले हेनरी पेटी फिट्ज मॉरिस के नाम पर रखे गए लैंसडाउन चौक का नाम बदलकर गढ़वाल के राजा महाराजा प्रद्युम्न शाह चौक किया जा चुका है।
गौरतलब है कि लैंसडाउन 1888 से 1894 के दौरान वायसराय ऑफ इंडिया रहे थे। तब यहां की आबादी 4 हजार से भी कम थी। गढ़वालियों ने यहां अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में भी हिस्सा लिया। यहां देवदार के साथ ब्लू पाइन के घने जंगल मन मोह लेते हैं। अंग्रेजों की हुकूमत के दौरान 1857 में वायसराय लॉर्ड लैंसडाउन की लोकप्रियता के चलते यहां का नाम बदला। ब्रिटिश अफसरों को पहाड़ी क्षेत्र काफी पसंद था और यहां गढ़वाल रायफल्स रेजिमेंट का ट्रेनिंग सेंटर भी था। 

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