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उत्तराखंड : बेटे की चाहत में मां ने 28 दिन की बेटी को नहर में फेंका, कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद की सजा

खटीमा। बेटे की चाहत में 28 दिन की बेटी को नहर में फेंककर जान लेने के मामले में कोर्ट ने मां को उम्रकैद की सजा सुनाई है। अब तीन साल बाद उस मासूम को इंसाफ मिला है। दोषी मां को आजीवन कारावास व पिता को चार वर्ष की सजा मिली है।

बता दे कि मामला 16 दिसंबर 2019 का है। चकरपुर पचौरिया नई बस्ती गांव के विजय कुमार उर्फ गोविंद प्रसाद ने कोतवाली में 28 दिन की बेटी प्रियांशी की गुमशुदगी दर्ज कराई थी। उसका कहना था कि उसकी बेटी लापता है। पुलिस ने जांच की तो चौंकाने वाली बात सामने आई। पता चला कि बच्ची की मां निशा बेटी के पैदा होने से निराश थी। इस कारण उसने बच्ची को लोहियाहेड पावर हाउस नहर में फेंक दिया। मामले की जानकारी जब विजय को हुई तो उसने पत्नी को डांटा लेकिन उसके बाद पत्नी को बचाने के लिए मामले को छिपाए रखा। बाद में गुमशुदगी दर्ज करा दी। घटना के 12वें दिन बच्ची का शव लोहियाहेड पावर हाउस की जाली में उतराता मिला।
यह मामला अपर जिला एवं सत्र न्यायधीश की अदालत में पहुंचा। पुलिस ने 16 मार्च 2020 को को न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल कर दिए थे। अभियोजन पक्ष की ओर से सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सौरभ ओझा ने पैरवी करते हुए नौ गवाहों को पेश किया।

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायाधीश सिंह ने दोषी पाते हुए मां निशा उर्फ नगमा को धारा 302 व 201 में आजीवन कारावास एवं आठ हजार रुपए का अर्थदंड एवं पिता विजय कुमार उर्फ गोविंद प्रसाद को साक्ष्य आरोप छुपाने के आरोप में धारा 201 में चार साल की सजा व तीन हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है।

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