देहरादून। उत्तराखंड के दो पहाड़ी जिलों रुद्रप्रयाग और टिहरी पर भूस्खलन का सबसे ज्यादा खतरा मंडरा रहा है। इसरो (ISRO) के हैदराबाद स्थित नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) की ताजा ‘लैंडस्लाइड एटलस’ की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड के सभी 13 जिले संवेदनशील हैं। लैंडस्लाइड झेल रहा चमोली जिला इस लिस्ट में 19वें स्थान पर है। चमोली जिले के जोशीमठ में वैज्ञानिक लैंडस्लाइड की तकनीकी जांच कर रहे हैं। इस लिस्ट में टॉप 10 में उत्तराखंड के अलावा केरल, सिक्किम, जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों के शहर भी शामिल हैं।

वहीं पिछले दिनों जोशीमठ में भूधंसाव के चलते चर्चा में आया चमोली जिला लैंडस्लाइड के खतरे वाले जिलों में 19वें नंबर पर है। रुद्रप्रयाग के आपातकालीन संचालन केंद्र से मिली जानकारी के मुताबिक, जिले में 32 पुराने लैंडस्लाइड क्षेत्र हैं। इनमें सबसे ज्यादा नेशनल हाईवे 107 पर स्थित हैं।इसी तरह से तोताघाटी सहित टिहरी की पहचान बहुत प्राचानी भूस्खलन स्थल के रूप में की गई है।

भूस्खलन की दृष्टि से सबसे ज्यादा खतरे वाले जिलों की लिस्ट में टॉप पर शामिल रुद्रप्रयाग करीब 10 साल पहले भयंकर आपदा झेल चुका है। केदारनाथ में 2013 में भयंकर आपदा आई थी, जिसमें हजारों लोगों की मौत हो गई थी। ताजा रिपोर्ट के अनुसार, रुद्रप्रयाग का सिरोबगड़ और नारकोटा क्षेत्र लैंडस्लाइड से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। सालों भर यहां से लैंडस्लाइड की खबरें आती रहती हैं, जबकि मॉनसून के दौरान लैंडस्लाइड के मामलों में तेजी आ जाती है। स्टेट इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर का डाटा बताता है कि 2018 से 2021 के बीच उत्तराखंड में 253 भूस्खलन हुए। इसमें 127 लोगों की मौत हुई। एटलस की रिपोर्ट बताती है कि पिछले दो दशकों में उत्तराखंड में 11,000 से अधिक भूस्खलन दर्ज किए। इनमें अधिकतम भूस्खलन क्षेत्र ऋषिकेश-रुद्रप्रयाग-चमोली-बद्रीनाथ, रुद्रप्रयाग-उखीमठ-केदारनाथ, चमोली-उखीमठ, ऋषिकेश-उत्तरकाशी-गंगोत्री मार्ग पर पड़ते हैं।
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