- सुप्रीम कोर्ट ने कहा, राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों के भीतर न दी जाए खनन को मंजूरी
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिये कि राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों में संरक्षित वन की सीमांकित रेखा से कम से कम एक किलोमीटर के दायरे में पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र (इको सेंसिटिव जोन) होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के ये निर्देश उत्तराखंड के लिये अहम साबित होंगे।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों के भीतर खनन को और किसी पक्के निर्माण की मंजूरी नहीं दी जानी चाहिए। शीर्ष अदालत ने सभी राज्यों और केन्द्र शासित क्षेत्रों के मुख्य वन संरक्षक को ईएसजेड के भीतर मौजूद सभी निर्माणों की सूची तैयार करने और तीन माह के भीतर उसके समक्ष रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
पीठ ने कहा, ‘इस काम के लिए अधिकारी उपग्रह से तस्वीरें प्राप्त करने अथवा ड्रोन से फोटोग्राफी कराने के लिए सरकारी एजेंसियों की मदद ले सकते हैं।’ सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश एक लंबित जनहित याचिका पर दिए। ‘टीएन गोडावर्मन बनाम यूओआई’ शीर्षक वाली यह याचिका वन संरक्षण के जुड़े मुद्दों पर है।