देहरादून। कोरोनाकाल में प्रदेश के अस्पतालों में रखे गए 1600 कर्मचारियों की सेवाएं बुधवार को खत्म हो गई। जिसको लेकर कर्मचारियों ने विरोध एवं उनकी सेवा विस्तारित करने की मांग पर आंदोलन शुरू कर दिया है। दून अस्पताल समेत कई अन्य अस्पतालों में कर्मचारियों ने आखिरी दिन कार्य बहिष्कार किया। वहीं गुरुवार से कर्मी जहां-जहां तैनात थे, उन्हीं अस्पतालों के बाहर धरना देंगे।
बता दे कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोरोना काल में कोविड-19 मरीजों के स्वास्थ्य सेवा के लिए रखे गए कर्मियों की सेवा समाप्त कर बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। विभाग ने कोविड महामारी के दौरान राज्य में 1600 स्वास्थ्य कर्मियों को दैनिक नियुक्ति पर रखा था। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार राज्य में कोविड का एक भी मरीज नहीं है। जिसके बाद अब विभाग ने कर्मियों की छुट्टी कर दी है। विभाग ने जनपद पौड़ी में 140 स्वास्थ्य कर्मियों की दैनिक नियुक्ति की थी। जिसमें से सभी को 14 मार्च को आरोप है कि बगैर मानदेय दिए बाहर का रास्ता दिखा दिया है। जनपद में सबसे ज्यादा भर्ती मरीजों को स्वास्थ्य लाभ देने वाले कोटद्वार बेस चिकित्सालय प्रशासन ने भी 100 स्वास्थ्य कर्मियों की सेवा निरस्त की है।
वहीं हल्द्वानी के सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल में लगभग 50 कर्मचारी कोविड-19 के दौरान रखे गए थे जिनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं लिहाजा बेरोजगार हुए कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त है। कोविड काल मे राजकीय मेडिकल कॉलेज / सुशीला तिवारी हॉस्पिटल में लगे कर्मचारियों का द्वारा आज सेवा समाप्त होने पर आज सरकार का विरोध किया गया। वहीं दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सबसे ज्यादा दिक्कत लैब एवं वाडों में हुई। यहां पर आउटसोर्स एजेंसी को अपने कर्मचारी बुलाने पड़े, वहीं वार्डो में एक-एक नियमित वार्ड ब्वॉय ही रह गए। जिन पर कार्य का बोझ बढ़ गया है। वहीं इमरजेंसी, प्रशासनिक अनुभाग, पीआरओ सेल, फार्मेसी समेत अन्य विभागों में दिक्कतें झेलनी पड़ी।