श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्तता के आरोप में कड़ा कदम उठाया है। प्रशासन ने पुलिसकर्मियों सहित छह कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया।
जम्मू कश्मीर सरकार के मुताबिक, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भारतीय संविधान की धारा 311 (2) (सी) के तहत इन सभी सरकारी अधिकारियों को बर्खास्त किया है। इन सभी अधिकारियों की कड़ी जांच कराई गई थी, जिसके बाद यह स्पष्ट हो गया कि ये सभी पाकिस्तान आईएसआई और वहां से चल रहे आतंकी ऑर्गनाइजेशन के चलाए जा रहे नार्को-टेरर नेटवर्क का हिस्सा थे।
जांच में उन सभी अधिकारियों के खिलाफ आपत्तिजनक सबूत इकट्ठा किए हैं, इन सबूतों से पता चलता है कि इन अधिकारियों ने पाकिस्तान आईएसआई और आतंकी संगठनों के चलाए जा रहे नार्को-टेरर से लड़ने में सरकार की मदद करने की बजाए उनके साथ मिलकर देश के प्रति बेईमानी का रास्ता चुना। बर्खास्त कर्मचारियों में हेड कांस्टेबल फारूक अहमद शेख, कांस्टेबल खालिद हुसैन शाह, कांस्टेबल रहमत शाह, कांस्टेबल इरशाद अहमद चालकू, कांस्टेबल सैफ दीन और शिक्षक निजाम दीन शामिल है।
अधिकारियों ने संकेत दिया कि नेटवर्क के भीतर अन्य कनेक्शनों और सहयोगियों को उजागर करने के लिए जांच जारी रहेगी। उन्होंने संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्टिंग में सार्वजनिक सतर्कता और सहयोग बढ़ाने का भी आह्वान किया। सरकारी कर्मचारियों की बर्खास्तगी का सिलसिला अगस्त, 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद शुरू हुआ।
बता दें कि जुलाई 2020 में एलजी सिन्हा के नेतृत्व वाले जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कथित रूप से ‘राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों’ में शामिल सरकारी कर्मचारियों की साख की जांच के लिए 2020 के सरकारी आदेश संख्या 738-जेके (जीएडी) के तहत एक समिति का गठन किया था। सरकार का दावा है कि ऐसे कर्मचारियों की गतिविधियां ‘कानून प्रवर्तन और खुफिया एजेंसियों के संज्ञान में आई। वे राज्य की सुरक्षा के हितों के लिए हानिकारक गतिविधियों में संलिप्त पाए गए।