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जामताड़ा में हर माह 20 लाख कमा लेता है ‘हैलो गैंग’ का गुर्गा!

साइबर फ्राड की काली दुनिया का सच

  • नोटों से खेलते हैं लेडीज आवाजें निकालने में माहिर 9वीं-10वीं पास ये लड़के  
  • नंबर डायल करते ही कहते हैं- ‘नमस्कार। मैं …बैंक की ब्रांच से बोल रही हूं।
  • आरोपियों के पास महंगी कार, बाइक, सभी सुविधाओं से लैस आलीशान घर

नई दिल्ली। आईआईटी या आईआईएम पास आउट दिन रात मेहनत करके जितना सालाना पैकेज लेते हैं, उससे कहीं ज्यादा एक माह की कमाई जामताड़ा का हैलो गैंग कर लेता है। यह चौंकाने वाला सच ‘जामताड़ा गैंग’ के साइबर ठगों से मालूम हुआ है। गैंग के 6 शातिर ठगों को रोहिणी जिले की बेगमपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया है। सभी 5 दिन की रिमांड पर हैं। ये लोग अब तक 500 से अधिक लोगों को शिकार बना चुके हैं।
पुलिस का अनुमान है कि इन शातिरों ने 30 से 35 करोड़ रुपये की ठगी की है। 9वीं-10वीं पास ये लड़के नोटों के बंडलों से खेलते हैं। इसके साथ ही लेडीज आवाजें निकालने में माहिर हैं। नंबर डायल करते ही कहते हैं- ‘नमस्कार। मैं …बैंक की ब्रांच से बोल रही हूं।
पुलिस के मुताबिक जामताड़ा के हैलो गैंग का हर एक सदस्य महीने में 20 से 30 लाख रुपये साइबर फ्रॉड के जरिए हड़प लेता है। इनके चार-पांच साथी फरार हैं। उनकी तलाश में पुलिस छापेमारी कर रही है। ये लोग सालाना करोड़ों की कमाई का टारगेट लेकर पूरा कर लेते हैं। जितनी कमाई, उतनी लग्जरी लाइफ स्टाइल। आरोपियों के पास महंगी कार, बाइक, सभी सुविधाओं से लैस आलीशान घर हैं। कमाई का पैसा हर रोज मौज- मस्ती में जी भरके उड़ाते हैं।
ये गुर्गे दिल्ली, मुंबई से लेकर दुबई तक हवाई जहाजों में आए दिन सैरसपाटा करते हैं। आईपीएल मैच कहीं भी हो, वहां बाकायदा फ्लाइट से आते- जाते हैं। कुछ दिनों पहले गुजरात पुलिस ने इसी गैंग के एक नाबालिग को पकड़ा था। जांच में पता चला कि उसने दो साल में लोगों के खातों में सेंध लगाकर करीब 75 करोड़ रुपये निकाल लिये थे।
पुलिस की जांच टीम जब जामताड़ा पहुंची तो वहां अलग- अलग राज्यों की पुलिस किसी न किसी केस की तफ्तीश में हर रोज आ जा रही थी। पुलिस को वहां के माहौल से पता चला कि कुछ दिनों पहले ईडी ने भी छापेमारी की थी। इस इलाके में देश की सभी बड़ी एजेंसियों की नजर रहती है। प्रदीप मंडल और सीताराम मंडल को जामताड़ा की साइबर ठगी के गॉडफादर का दर्जा हासिल है। गिरफ्त में आया जमीरुद्दीन भी पहले 8 से 10 हजार रुपये मेहनत- मजदूरी करके कमाता था। कुछ ही दिनों बाद इलाके के फिशिंग वाले लड़कों के साथ मिलकर कॉल करने लगा। लाखों की कमाई हुई तो अपने गांव में घर भी आलीशान तरीके से बनवा दिया। पुलिस के अनुसार इन गुर्गों की धरपकड़ बहुत मुश्किल से होती है, क्योंकि ये संगठित नहीं हैं। सब लड़के अलग-अलग काम करते हैं। जिस सिम कार्ड का इस्तेमाल कॉल के लिए करते हैं, वो कार्ड कुछ दिनों पहले मर गए किसी अन्य शख्स के नाम पर होता है। कुछ एक कॉल करके सिम कार्ड तोड़ देते हैं। पुलिस जब तफ्तीश करने पहुंचती है तो पता चलता है कि जिसके नाम पर सिम कार्ड है, वह तो मर चुका है। ऐसे में उनके खिलाफ सबूत जुटाना बहुत मुश्किल हो जाता है और उनका यह खेल जारी रहता है। 

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