गोपेश्वर। चमोली जिला प्रशासन के लिखित आश्वासन के बाद ‘जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति’ ने अपना 107 दिन पुराना आंदोलन स्थगित कर दिया। संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती ने बताया कि जोशीमठ की उपजिलाधिकारी के माध्यम से संघर्ष समिति द्वारा मुख्यमंत्री को दी गयी ग्यारह सूत्री मांगों पर जिला प्रशासन द्वारा कार्यवाही का लिखित आश्वासन दिया गया है।
कॉमरेड अतुल सती ने जोशीमठ प्रभावितों को लेकर पहले धरना प्रदर्शन शुरू किया था। जब बात नहीं बनी तो उन्होंने जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति बनाकर आंदोलन शुरू कर दिया था। पिछले तीन महीने से भी ज्यादा समय से जोशीमठ में कड़ाके की सर्दी में भी संघर्ष समिति का आंदोलन जारी थी।
समिति द्वारा आठ अप्रैल को मुख्यमंत्री के सामने रखी मांगों में सम्पूर्ण जोशीमठ को आपदा प्रभावित घोषित करते हुए प्रभावित वर्गों जैसे व्यवसाइयों, दिहाड़ी मजदूरों, पर्यटन पर निर्भर लोगों तथा कृषकों को हुए नुकसान की भरपाई करने, जोशीमठ भूधंसाव के संदर्भ में देश की शीर्ष आठ संस्थाओं द्वारा किए गए अध्ययन की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने, सरकार द्वारा घोषित मुआवजा नीति में होम-स्टे को व्यावसायिक श्रेणी से हटाने, बेघर हुए प्रभावितों के लिए स्थाई पुनर्वास की व्यवस्था होने तक वैकल्पिक व्यवस्था कम से कम साल भर तक चलाने और तपोवन विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना की निर्माण एजेंसी एनटीपीसी कंपनी के साथ हुए 2010 के समझौते को लागू करना आदि शामिल हैं।
इसके अलावा, जोशीमठ के स्थाईकरण और नव निर्माण के कार्यों की निगरानी के लिए समिति बनाने तथा उसमें जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति को शामिल करने व सरकार द्वारा दिए जा रहे भवनों के मुआवजा की प्रक्रिया को आसान बनाने की मांग भी शामिल है। समिति ने राज्य सरकार को चेतावनी दी थी कि उनकी मांगों के समाधान की दिशा में कार्यवाही नहीं किए जाने पर बदरीनाथ यात्रा के दौरान जोशीमठ में चक्काजाम किया जाएगा।