देहरादून। उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव के मतदान सम्पन्न होने के बाद अब नगर निकाय चुनावों को लेकर हलचल तेज हो गई है। उत्तराखंड में निकाय चुनाव को लेकर राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखा है। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने हाईकोर्ट को बताया कि नगर निकायों में प्रशासकों का कार्यकाल नहीं बढ़ाया जाएगा। तय समय के भीतर नगर निकाय के चुनाव की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
हाईकोर्ट में जसपुर निवासी मोहम्मद अनस एवं नैनीताल निवासी राजीव लोचन साह ने जनहित याचिका दायर कर उत्तराखंड के स्थानीय निकायों में प्रशासक नियुक्त करने के राज्य सरकार के आदेश को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट के आदेश 9 जनवरी 2024 के अनुसार महाधिवक्ता ने कहा था कि चुनाव प्रक्रिया छह माह के भीतर पूरी हो जाएगी और निकायों में नियुक्त प्रशासकों का कार्यकाल उत्तराखंड नगर पालिका अधिनियम, 1916 की धारा 10 ए (4) के तहत छह माह की अवधि से अधिक नहीं बढ़ाया जाएगा।
उत्तराखंड में निकायों का कार्यकाल दिसंबर में ही पूरा हो चुका है। निकायों का कार्यकाल खत्म होने के बाद दो दिसंबर से प्रशासक नियुक्त हो चुके हैं। जो कि आगामी छह माह यानी दो जून तक रहेंगे। जिलाधिकारियों के स्तर से भी नगर निकायों की जिम्मेदारियां देखी जा रही हैं। सरकार ने हाईकोर्ट में भी छह माह के भीतर निकाय चुनाव कराने का वादा किया है। दो दिसंबर से दो जून तक छह माह की समयावधि पूरी हो रही है।
ऐसे में साफ है कि मई में नगर निकायों के चुनाव कराए जाएंगे। उत्तराखंड के 97 निकायों में चुनाव होने हैं। राज्य में वर्तमान में नगर निकायों की संख्या बढ़कर 110 हो गई है। इनमें सात निकाय कुछ समय पहले ही अधिसूचित हुए हैं। ऐसे में अन्य निकायों के साथ इनके चुनाव कराना संभव नहीं है।