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प्रकृति दोहन की सीमा तय कर शैक्षणिक संस्थानों में इस पर शोध होःडॉ. अनिल जोशी

कोटद्वार-कोटद्वार में आयोजित शनिवार को प्रेसवार्ता में पद्मभूषण डॉ. अनिल जोशी ने कहा कि सौ साल से मानव प्रकृति का दोहन कर रहा है, जिसके परिणाम सामने हैं। एक कोरोना वायरस ने पूरे विश्व में मानव को विवश कर दिया है। अब समय आ गया है कि प्रकृति के दोहन का ऑडिट करा जाए। इसके लिए हम सभी सामूहिक प्रयास करने होंगे। डॉ. जोशी ने कहा कि प्रकृति को बचाने के प्रयास में सबसे पहले सरकार, उसके बाद संस्थाएं और अंत में आम आदमी की जिम्मेदारी बनती है। सरकार विकास के नाम पर कंकरीट के जंगल खड़ा कर रही है। सरकारों ने कितने जंगल विकसित किए, इस पर कभी चर्चा नहीं होती। प्रकृति के दोहन की सीमा तय कर शैक्षणिक संस्थानों में इस विषय पर शोध कार्य करने होंगे। प्रकृति के दोहन के लिए प्राकृतिक परिवेश के ऑडिट की आवश्यकता है, तभी प्रकृति और मानव जीवन सुरक्षित रह सकता है। कोटद्वार पहुंचे कौन बनेगा करोड़पति (केबीसी) टीवी शो में पर्यावरण संरक्षण का मुद्दा उठाने वाले पर्यावरणविद् डॉ. अनिल जोशी ने कहा कि शो से जीती गई करीब 17 लाख की धनराशि उत्तराखंड में जल संरक्षण के लिए खर्च करेंगे। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में आने वाले पर्यटक हरवर्ष करोड़ों रुपये का पानी पी रहे हैं, लेकिन प्रदेश में पवित्र गंगा के बहने के बाद भी आज तक यहां के निर्मल जल की बिक्री पर कोई कार्य नहीं हो रहा है।

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