देहरादून। लेखपाल भर्ती परीक्षा पेपर लीक मामले में मुख्य आरोपित संजीव चतुर्वेदी के अनुभाग को लेखपाल भर्ती परीक्षा का पेपर सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी दी गई। आरोपित ने पहली बार ही पेपर लीक करवा दिया। वही अब पटवारी-लेखपाल भर्ती का पेपर लीक होने के बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिरकार अति गोपन विभाग में मोबाइल कैसे पहुंचा। जिस विभाग से महत्वपूर्ण सूचनाएं बाहर होने का खतरा है। दरअसल, पटवारी भर्ती का पेपर लीक करने के आरोप में जिस अनुभाग अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को एसटीएफ ने पकड़ा है, उसने 380 सवालों को वहां से अपनी पत्नी को भेजा था।
एसटीएफ के अनुसार, आरोपित संजीव चतुर्वेदी ने वर्ष 2003 में पहली बार राज्य लोक सेवा आयोग में तैनात हुआ था। अब तक उसे कोई बड़ी जिम्मेदारी तो नहीं दी गई थी, लेकिन अधिकारियों के साथ रहकर उसने पेपर के बारे में पूरी जानकारी हासिल कर दी थी। वर्ष 2018 में आयोग की ओर से अनुभाग अधिकारी की बड़ी जिम्मेदारी दी गई और वह अति गोपनीय अनुभाग में काम करने लगा। राज्य लोक सेवा आयोग के अंदर छह अति गोपनीय अनुभाग हैं, जहां पर पेपर के सेट तैयार किए जाते हैं। सभी अनुभागों को क्रमवार इसकी जिम्मेदारी मिलती है। पहली बार संजीव चतुर्वेदी को लेखपाल परीक्षा का पेपर सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी दी गई।
इसका जिक्र उसने पत्नी रितु से किया तो रितु ने रातों-रात अमीर बनने के सपने बुन लिए और मोबाइल पर पेपर की फोटो खींचकर लाने का दबाव बनाया। संजीव ड्यूटी के समय अति गोपनीय अनुभाग से पेपर की फोटो खींचकर लाया तो रितु ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर पेपर लीक कर दिया।
बता दे कि इससे पहले उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के कार्यालय से भी एक कर्मचारी ने सचिवालय रक्षक भर्ती का पेपर पेन ड्राइव में कॉपी करके बाहर किया था। तब भी यह सवाल उठे थे कि आयोग के भीतर ही ऐसी लापरवाही कैसे बरती जा सकती है।