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सूचीबद्ध अस्पतालों द्वारा कोविड रोगियों का कैशलेस इलाज न करने पर भड़के तीरथ

जनहित सर्वोपरि

  • कहा, उत्तराखंड में पीएमजेएवाई, एएयूवाई और एसजीएचएस में सूचीबद्ध सभी अस्पतालों को कोरोना मरीजों को देना ही होगा निशुल्क उपचार
  • ऐसा न करने पर अरिहन्त एडवांस सर्जरी एण्ड फर्टिलिटी सेंटर शास्त्रीनगर देहरादून को राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के निदेशक ने भेजा नोटिस

देहरादून। उत्तराखंड में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई), अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना (एएयूवाई) और स्टेट गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (एसजीएचएस) के अन्तर्गत सूचीबद्ध होने के बावजूद कोरोना मरीजों को निशुल्क (कैशलेस) उपचार न देने वाले अस्पतालों के खिलाफ मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने नाराजगी जताते हुए ऐसे अस्पतालों पर शिकंजा कसने को कहा है।
उन्होंने साफ कहा कि देवभूमि में सूचीबद्ध सभी अस्पतालों को प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना एवं राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना के लाभार्थियों को निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार कोविड मरीजों के लिए सभी प्रकार का निःशुल्क उपचार देना ही होगा।
यह जानकारी देते हुए राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुणेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि संज्ञान में आया है कि आयुष्मान भारत एवं अटल आयुष्मान योजना में सूचीबद्ध अस्पतालों द्वारा कोविड रोगियों को कैशलेस उपचार की सुविधा नहीं दी जा रही है। यह कोविड के समय में बिल्कुल उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि आयुष्मान योजना के आईटी सिस्टम में कोविड-19 पैकेज का चयन कर लाभार्थियों को चिकित्सा उपचार की सुविधा पूर्व से उपलब्ध है। इसके अलावा अस्पतालों को समय से उपचार करने में दिक्कत न हो इसलिए प्राधिकरण चिकित्सालयों के बिल सिस्टम में अपलोड होने के एक सप्ताह में भुगतान किया जा रहा है।
चौहान ने बताया कि कोरोना महामारी को देखते हर योजनाओं के लाभार्थियों को सभी प्रकार की चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्राधिकरण ने सभी सूचीबद्ध अस्पतालों को विशेष दिशा-निर्देश दिए हैं। साथ ही लाभार्थियों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो इसके लिए अस्पतालों से कहा गया है कि यदि कोविड मरीज अस्पताल में आता है तो हर हाल में योजना के अंतर्गत निर्धारित पैकेज के अनुसार निशुल्क उपचार दिया जाये।
आयुष्मान योजना के अंतर्गत एनएबीएल मान्यता वाले अस्पतालों को आइसोलेशन बेड के लिए 8000, बिना आईसीयू के वेंटिलेटर केअर पर 12 हजार व आईसीयू के साथ वेंटिलेटर केअर के लिए 14,400 रुपये प्रति का भुगतान जबकि गैर एनएबीएल मान्यता वाले अस्पतालों को क्रमशः 6400, 10,400 व 12000 का भुगतान किया जाएगा। इसके अलावा लाभार्थियों की जांच, उपचार, भोजन एवं पीपीई किट पर होने वाला व्यय पैकेज में शामिल है। जबकि गंभीर कोविड रोगियों को उपचार की दवाएं जैसे रेमडीसिवर, फेवीपीरविर, टाकलीज़ुअमब उक्त पैकेज की दरों से अतिरिक्त वास्तविक दर पर ही सूचीबद्ध अस्पताल को उपलब्ध होगी। सभी अस्पतालों को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी रोगी या तीमारदार से धनराशि लेना नियम विरुद्ध है और ऐसी स्थिति में अस्पताल की सूचीबद्धता समाप्त करने की कार्रवाई की जाएगी। साथ ही क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत समुचित प्राधिकारी को भी सूचित किया जा सकता है।
उधर प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई), अटल आयुष्मान उत्तराखण्ड योजना (एएयूवाई) और स्टेट गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (एसजीएचएस) के अन्तर्गत सूचीबद्ध होने के बावजूद कोरोना मरीजों को निशुल्क (कैशलेस) उपचार न देने वाले अस्पतालों के खिलाफ राज्य सरकार ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। ऐसे ही एक निजी अस्पताल को राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने नोटिस जारी किया है। नोटिस में कोरोना मरीजों को निशुल्क (कैशलेस) उपचार न देने पर अस्पताल के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई किए जाने की चेतावनी दी गई है।
अरिहन्त एडवांस सर्जरी एण्ड फर्टिलिटी सेंटर शास्त्रीनगर देहरादून के चिकित्सक डा. अभिषेक जैन को राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के निदेशक (हास्पिटल मैंनेजमेंट) डॉ. एके गोयल की ओर से भेजे गए नोटिस में कहा गया है कि कई लोगों की ओर से शिकायत मिली है कि अरिहन्त एडवांस सर्जरी एण्ड फर्टिलिटी सेंटर सरकार की विभिन्न योजनाओं पीएमजेएवाई, एएयूवाई और एसजीएचएस में सूचीबद्ध् होने के बावजूद कोरोना के मरीजों को निशुल्क कैशलेस उपचार मुहैया नहीं करवा रहा है जबकि राज्य सरकार की ओर से स्पष्ट आदेश हैं कि इन योजनाओं के सूचीबद्ध अस्पतालों में कोरोना मरीजों का उपचार निशुल्क किया जाना है। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के अधिकारी जब इस संबंध में अस्पताल प्रबंधन से मोबाइल फोन पर सम्पर्क करते हैं तो कोई उत्तर नहीं दिया जाता। नोटिस में कहा गया है कि यदि अस्पताल ने आगे पीएमजेएवाई, एएयूवाई और एसजीएचएस योजनाओं के तहत कोरोना मरीजों को उपचार निशुल्क नहीं किया तो अस्पताल की सूचीबद्धता समाप्त करने के साथ ही अस्पताल के खिलाफ क्लीनिकल इस्टेबलिश्मेंट एक्ट के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी, जिसकी जिम्मेदारी अस्पताल प्रबंधन की होगी।

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