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डीसीबी भर्ती घोटाले की जांच रिपोर्ट यानी गई भैंस पानी में!

एक्शन के नाम पर निल बटा सन्नाटा

  • जांच रिपोर्ट में अंकों में छेड़छाड़ कर चहेतों को फायदा पहुंचाने का साफ उल्लेख
  • अब महीनों से न्याय विभाग में धूल खा रही है तीन जिलों की जांच रिपोर्ट

देहरादून। जिला सहकारी बैंक घोटाले के मामले में संयुक्त निबंधक सहकारी समितियां नीरज बैलवाल की अध्यक्षता में बनी जांच समिति तीनों जिलों की जांच पूरी कर रिपोर्ट शासन को सौंप चुकी है।
सूत्रों के अनुसार जांच रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कूट रचना कर अंकों में छेड़छाड़ कर चहेतों को फायदा पहुंचाने, शैक्षणिक गतिविधियों के नंबरों में खेल, फर्जी खेल प्रमाण पत्रों के जरिए कुछ आवेदकों को लाभ पहुंचाने जैसी बातों का उल्लेख किया गया है।
विभागीय मंत्री डॉ. धन सिंह रावत का कहना है कि जहां तक उनकी जानकारी है, फाइल न्याय विभाग को भेजी गई है। जब तक फाइल लौटकर उनके पास नहीं आ जाती, वह इस बारे में कुछ नहीं कह सकते। उधर सचिव डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने कहा कि जांच रिपोर्ट न्याय विभाग के पास विधिक परामर्श के लिए भेजी गई है। रिपोर्ट वापस कब तक आएगी, इस बारे में वह कुछ नहीं कह सकते हैं। इससे साफ जाहिर है कि भैंस पानी में चली गई है और अब कुछ होने वाला नहीं है।
शासन में मेरी फाइल- तेरी फाइल की प्रवृत्ति से सहकारिता विभाग में जिला सहकारी बैंकों (डीसीबी) में हुई भर्तियों में गड़बड़ी की जांच रिपोर्ट अब न्याय विभाग में अटक गई है। जांच समिति दो महीने पहले ही जांच रिपोर्ट शासन को सौंप चुकी है, लेकिन इस पर कार्रवाई होना तो दूर, अभी तक जांच के तथ्यों का ही खुलासा नहीं किया गया है।
गौरतलब है कि वर्ष 2020 में जिला सहकारी बैंकों में चतुर्थ श्रेणी के 432 पदों के लिए शुरू हुई भर्ती प्रक्रिया शुरू होते ही विवादों में आ गई थी। इसके बाद 29 मार्च 2022 को विभागीय मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के आदेश पर देहरादून, ऊधमसिंह नगर और पिथौरागढ़ डीसीबी की जांच के आदेश शासन की ओर से दिए गए थे।
मामले में संयुक्त निबंधक सहकारी समितियां नीरज बैलवाल की अध्यक्षता में बनी जांच समिति तीनों जिलों की जांच पूरी कर रिपोर्ट शासन को सौंप चुकी है। जांच समिति ने सबसे पहले जून में देहरादून डीसीबी, सितंबर में पिथौरागढ़ और अक्टूबर में ऊधमसिंह नगर डीसीबी की जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी थी।
यह भी बताया जा रहा है कि यदि इस जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई हुई तो जिला सहकारी बैंकों के अध्यक्ष, प्रबंधक और जिला सहायक निबंधक तक कार्रवाई की चपेट में आ सकते हैं, लेकिन जांच रिपोर्ट को शासन में एक टेबल से दूसरी टेबल में घुमाया जा रहा है, उससे सरकार की मंशा पर भी सवाल उठ रहे हैं। 

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