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तीरथ पलट रहे त्रिवेंद्र के अहम फैसले तो पूर्व सीएम ने दिखाया आईना!

  • अपने-अपने आसमां कुमाऊं और गढ़वाल की संस्कृति का नया प्रयाग बनाने के लिए बनाई थी गैरसैंण कमिश्नरी : त्रिवेंद्र
  • पूर्व सीएम ने कहा, करोड़ों श्रद्धालुओं के बेहतर प्रबंधन के लिए किया था देवस्थानम् बोर्ड का गठन

देहरादून। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कई अहम फैसलों को पलट दिया है। इस संदर्भ में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गैरसैंण कमिश्नरी को स्थगित किए जाने के तीरथ कैबिनेट के नये फैसले को नई सरकार की अपनी सोच करार दिया। साथ ही अपना मंतव्य स्पष्ट करते हुए कहा कि हमारे समय में सरकार द्वारा कमिश्नरी बनाने का निर्णय ग्रीष्मकालीन राजधानी परिक्षेत्र के सुनियोजित विकास और भविष्य की सोच के साथ लिया गया था। हम चाहते थे कि गैरसैंण कमिश्नरी कुमाऊं और गढ़वाल की मिली जुली संस्कृति का नया प्रयाग बने।
डिफेंस कालोनी स्थित आवास पर आज शनिवार को मीडिया कर्मियों के सवाल के जवाब में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि निश्चित रूप से गैरसैंण को कमिश्नरी घोषित करने से पहले मैंने वहां के विधायकों की राय भी ली। मुझे इस तरह की आशंका पहले से ही थी कि इस तरह के सवाल भी उठेंगे, लेकिन गैरसैंण को कमिश्नरी के सवाल पर सभी ने कहा कि किसी को किसी तरह की आपत्ति नहीं होनी चाहिए। क्योंकि गैरसैंण उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी है। गैरसैंण के भावी विकास की दृष्टि से भी यह जरूरी था।
त्रिवेंद्र ने कहा कि गैरसैंण राजधानी परिक्षेत्र के सुनियोजित विकास के लिए उन्होंने 10 साल के लिए 25 हजार करोड़ का रोडमैप बनाया था। उस पर काम भी शुरू हो गया है। गैरसैंण भराड़ीसैंण में नियमित रूप से विधानसभा सत्र होंगे, वहां पर कानून व्यवस्था बनाने, प्रदेश की जनता की मांगों के त्वरित निस्तारण और राजधानी परिक्षेत्र के सुनियोजित विकास के लिए वरिष्ठ आईएएस और आईपीएस के नियमित रूप से वहां बैठने के लिए गैरसैंण को कमिश्नरी बनाने की सोच थी। सोच यही थी कि धीरे-धीरे राजधानी परिक्षेत्र का सुनियोजित और तेजी से विकास हो सके।
उन्होंने कहा, कुछ लोगों का कहना था कि कमिश्नरी में पिथौरागढ़ को शामिल करना चाहिए था, इस पर हमने विचार करने की बात कही थी। जहां तक गढ़वाल और कुमाऊं की अलग-अलग संस्कृति का सवाल है, निश्चित तौर पर अल्मोड़ा को कुमाऊं का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक केंद्र के रूप में जाना जाता है। त्रिवेंद्र ने कहा कि संस्कृति गंगा की तरह है कि जो भी उसमें मिलता है, वह कभी अपना रूप नहीं बदलती है, बल्कि उसे आत्मसात कर लेती है। गंगा में जितने भी संगम मिलते हैं, वह गंगा ही रहती है। इसी तरह से संस्कृति होती है। जहां तक कैबिनेट और सरकार का कमिश्नरी को स्थगित करने का निर्णय है, उस पर वह कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। यह सरकार की अपनी सोच और निर्णय है। हां, उनकी सोच भविष्य की एक ऐसी सोच थी जिसमें गैरसैंण को गढ़वाल और कुमाऊं की एक वृहद सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित करने की थी। जिसमें समूचे उत्तराखंड की झलक देश-दुनिया को दिखाई दे।
तीरथ सरकार के चार धाम देवस्थानम बोर्ड पर पुनर्विचार के सवाल पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि श्री बदरीनाथ और श्री केदारनाथ के मंदिर तो बदरी-केदार मंदिर समिति के जरिए एक एक्ट से पहले से ही संचालित होते हैं। इसके तहत 51 मंदिर आते हैं। हमने एक भी नया मंदिर बोर्ड में नहीं जोड़ा। श्री यमुनोत्री धाम मंदिर को एसडीएम की देखरेख में संचालित किया जाता है। वर्ष 2003 तक श्री गंगोत्री धाम का मंदिर में भी प्रशासक के तौर पर एसडीएम की देखरेख में संचालित होता था। अब किन कारणों से एसडीएम की व्यवस्था बदली, उसके लिए पिछला अध्ययन करना पड़ेगा। उनका सरकार का देवस्थानम बोर्ड बनाने का उद्देश्य केवल वहां आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए बेहतर व्यवस्था का संचालन करना था। खुद मंदिर समितियों ने माता वैष्णोदेवी श्राइन बोर्ड की तर्ज पर यहां भी बोर्ड बनाने का सुझाव दिया था।
यहां तक कि समितियां श्री पूर्णागिरि और श्री चितई के लिए भी ऐसी व्यवस्था चाहते रहे। जहां तक वर्षों से इन मंदिरों में पूजा अर्चना कर रहे पंडों और पुरोहितों के हक- हकूक की बात है, हमने उनसे कोई छेड़छाड़ नहीं की। क्योंकि पंडा-पुरोहित सैकड़ों वर्षों से इन मंदिरों में पूजा अर्चना करते हैं इसलिए उनके अधिकारों को बनाए रखा गया। केवल यात्रियों के लिए बेहतर प्रबंधन के लिए बोर्ड का गठन किया गया।
बातचीत के दौरान जच्चा बच्चा के लिए उनके समय में शुरू की गई ‘सौभाग्यवती’ योजना का नाम बदलकर कैबिनेट द्वारा ‘महालक्ष्मी’ योजना किए जाने के सवाल पर पूर्व सीएम ने कहा कि अच्छा है कि योजना को महालक्ष्मी जैसा व्यापक नाम मिल गया।
प्रदेश में कोविड संक्रमण के तेजी से बढ़ते मामलों के सवाल पर उन्होंने कहा कि कोविड के नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। लोग न तो मास्क पहन रहे हैं और न ही हाथों को सैनेटाइज ही कर रहे हैं। इसके कारण ही आज पिछले साल के मुकाबले इसका संक्रमण बहुत ज्यादा तेजी से फैल रहा है। इसलिए सभी लोगों को ज्यादा संभलकर चलने की जरूरत है। इससे देश को आर्थिक नुकसान तो होगा ही, साथ ही जन हानि की भी आशंका रहेगी। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में भारत ने कोविड पर काफी बेहतर ढंग से नियंत्रण किया है। टीकाकरण अभियान भी काफी बेहतर चल रहा है। लेकिन लोगों को कोविड के अनुरूप अपना व्यवहार बदलने की जरूरत है। हरिद्वार और देहरादून में कोविड के बढ़ते संक्रमण के सवाल पर उन्होंने कहा कि सरकार सख्ती बरत रही तो वह जनहित में ही है।

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