देहरादून। कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश सरकार पर दून वैली के विनाश का आरोप लगाया है। पार्टी ने कहा कि राज्य की सरकार दून घाटी में स्लाटर हाउस, माइनिंग, इंडस्ट्रियलिज्म की बात तो कर रही है, लेकिन यह केंद्र सरकार से पास हुए दून वैली एक्ट 1989 के खिलाफ है। कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अभिनव थापर ने दून घाटी की अधिसूचना 1989 को उत्तराखंड राज्य सरकार द्वारा निष्क्रिय करनें हेतु जो भारत सरकार द्वारा शासनादेश 21 दिसंबर 2023 को निकाला गया है, उसके विरोध में और दून घाटी को बचाने हेतु कांग्रेस द्वारा प्रेस वार्ता आयोजित की गई।
जैसा की विदित है की दून घाटी अधिसूचना 1989 में 01 फरवरी 1989 को दून घाटी क्षेत्र को पर्यावरण मुक्त व अन्य पर्यावरण के विषय पर संवेदनशील होने के कारण पर lime stone माइनिंग और Air Quality Index (AQI) के सुधार हेतु सुप्रीम कोर्ट के 30 अगस्त 1988 के निर्देशानुसार दून घाटी का प्रावधान किया गया था। जिससे देहरादून और उसके आसपास के क्षेत्र मसूरी, सहसपुर, डोईवाला, ऋषिकेश, विकासनगर, और इनके आस पास के इलाकों को बचाने के लिए किया गया है।
किंतु राज्य सरकार के प्रस्ताव पर पर्यावरण वन व जल वायु मंत्रालय ( MoEF) द्वारा 21.12.2023 को दून घाटी अधिसूचना 1989 निष्क्रिय करने हेतु शासनादेश जारी किया गया जिस पर राज्य सरकार को दून घाटी में जो बैन थे, भारी औद्योगिक गतिविधि जो उनको संचालित करने का अधिकार भी दिया गया जैसे स्लॉटर हाउस, क्रशर माइनिंग और अन्य RED Category की औद्योगिक गतिविधि हेतु। उल्लेखनीय है की राज्य की डबल इंजन सरकार ने पुनः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश “NCAP से उल्टा” यह कार्य दून घाटी अधिसूचना हटाने का काम किया है, क्योंकि भारत सरकार द्वारा 2019 में National Clean Air Program ( NCAP) शुरू किया गया जिसमे भारत के 131 उन शहरों को चयनित किया गया जिनकी आबो–हवा में AQI प्रदूषण की मात्रा अधिक थी और उनके सुधार हेतु भारत सरकार ने 10422.73 करोड़ रुपए का प्रावधान भी किया गया है।
उल्लेखनीय है की NCAP में उत्तराखंड के 3 शहर देहरादून, ऋषिकेश और काशीपुर को शामिल किया गया और AQI पर्यावरण सुधार हेतु 2021 में लगभग 68 करोड़ रुपए का बजट भी भारत सरकार द्वारा राज्य सरकार को जारी किया और देहरादून और ऋषिकेश दोनो ही पूर्णत: दून घाटी क्षेत्र के अंतर्गत आते है और इसके उलट राज्य सरकार यहां दून घाटी अधिसूचना हटाने का कार्य कर रही है। भारत सरकार के विशेषज्ञों की रिपोर्ट के अनुसार “देहरादून का प्रदूषण स्तर देश के 10 सबसे बुरे शहरों” में आता है जिसकी PM10 की मात्रा “Permissible limit से तीन गुना” अधिक है।
उत्तराखंड सरकार ने दून घाटी अधिसूचना 1989 को हटाने का जो प्रावधान किया है उसके विरोध में कांग्रेस प्रवक्ता अभिनव थापर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 8 फरवरी 2024 को पत्र प्रेषित किया और सुप्रीम कोर्ट के आदेश दि० 30.08.1988, दून वैली एक्ट दि० 01.02.1989 व NCAP प्रोग्राम भारत सरकार की रिपोर्ट 6 फरवरी 2024 का उल्लेख करते हुए प्रधान मंत्री कार्यालय का दून घाटी को बचाने के लिए ध्यान आकर्षित किया, क्योंकि उत्तराखंड सरकार ने केंद्र सरकार के NCAP प्रोग्राम को अनदेखा करते हुए अधिसूचना दून घाटी को हटाने का निर्णय लिया है जिससे देहरादून और आस पास के क्षेत्र में भारी पर्यावरण नुकसान व प्रदूषण की मात्रा बहुत बढ़ जाएगी। इस पत्र के क्रम में प्रधान मंत्री कार्यालय हस्ताक्षेप के बाद MoEF ने वन विभाग उत्तराखंड को इस विषय में रिपोर्ट जारी करने के लिए 13 फरवरी 2024 को पत्र लिखा किंतु अभी तक इस पर कोई कार्यवाही गतिमान होते हुए नजर नहीं आ रही है।
इसके तहत देहरादून,मसूरी, ऋषिकेश, डोईवाला, विकासनगर और आसपास के दून घाटी क्षेत्र के अंर्तगत की आबो–हवा आज 2024 में निसंदेह 1989 से बहुत खराब हो गई है और इन क्षेत्रों में जनसंख्या का दबाव भी बहुत बढ़ गया है। अतः दून घाटी अधिसूचना हटाने के बाद यहां पर पर्यावरण में बहुत सारे बदलाव आयेंगे जिससे दून घाटी का भविष्य नष्ट होना तय है। इस दून घाटी क्षेत्र से Fault Lines भी गुजरती है और दून घाटी Seismic Zone 4 के अंतर्गत आता है। यह दून घाटी अधिसूचना को हटाने का निर्णय दून घाटी के देहरादून, मसूरी, ऋषिकेश और विकासनगर को भविष्य में तबाह करने की तरफ एक कदम होगा। उल्लेखनीय है की अस्थाई तौर पर भारत सरकार के MOeF का आदेश कांग्रेस प्रवक्ता अभिनव थापर के प्रधानमंत्री कार्यालय के पत्राचार के बाद रुका हुआ है, किंतु इस निर्णय को वापिस लेने का कार्य राज्य सरकार को ही लेना होगा।
कांग्रेस प्रवक्ता अभिनव थापर ने कहा की हम देहरादून, मसूरी, सहसपुर, डोईवाला, ऋषिकेश , विकासनगर और आसपास का क्षेत्र जो दून घाटी के अंतर्ग्रत आता है उसको बचाने की लड़ाई हम हर स्तर पर लड़ेंगे। प्रधान मंत्री कार्यालय के हास्ताक्षेप के बाद भी यदि उत्तराखंड सरकार जाग नही रही है तो ये राज्य सरकार का दुर्भाग्यपूर्ण रवैया है, उत्तराखंड में पहले ही रैणी, जोशीमठ, उत्तरकाशी और टिहरी बांध के आसपास व अन्य कई इलाकों में कई बार आपदा आ चुकी है और Seismic Zone 4 और Fault Lines से लैस दून घाटी में पहले से ही अत्यधिक जनसंख्या का दबाव है जिससे आए दिन पर्यावरण में बदलाव हो रहा है। हमारा डबल इंजन सरकार से निवेदन है की इस दून घाटी क्षेत्र के पर्यावरण के खिलाफ जो सरकार ने निर्णय लिए है उसको तुरंत वापिस किया जाए। राज्य सरकार ने भारत सरकार को जो तथ्य दिए है उसमे दून घाटी में वंचित Slaughter House, Red Zone Category की स्थापना हेतु है। दून घाटी में देहरादून, मसूरी, सहसपुर, विकासनगर, डोईवाला, ऋषिकेश और आसपास के इलाके में लगभग उत्तराखंड की 15 लाख से अधिक की जनता निवास करती हैं। जिनके जान को जोखिम में डालकर राज्य सरकार ने दून घाटी अधिसूचना हटाने का निर्णय लिया है। इसको शीघ्र अगर नही वापिस लिया गया तो हम भविष्य में दून घाटी को बचाने के लिए एक बड़ा जन आंदोलन खड़ा करेंगे और राज्य सरकार और केंद्र सरकार को जगाने का काम करेंगे और यह बताने का काम करेंगे की कैसे उत्तराखंड डबल इंजन की सरकार दून घाटी के 15 लाख लोगों की जान व पर्यावरण के खिलाफ जाकर यह कार्य कर रही है।
ऋषिकेश के पूर्व कांग्रेस प्रत्याशी जयेंद्र रमोला ने कहा कि ऋषिकेश में प्रदूषण की मात्रा दिन-ब-दिन बढ़ रही है, गंगा किनारे लोग अतिक्रमण कर रहे है और ये दून घाटी अधिसूचना हटने से तो भारतवर्ष व हिन्दू धर्म की ऐतिहासिक नगरी ऋषिकेश का अस्तित्व ही खतरे में आ जायेगा। महानगर अध्यक्ष डॉ जसविंदर सिंह गोगी ने कहा कि देहरादून का प्रदूषण स्तर देश के 10 सबसे बुरे प्रदूषित शहरों में आता है। राज्य सरकार का दून घाटी को तबाह करने का तुगलकी फरमान के खिलाफ कांग्रेस सड़कों पर निकलकर प्रदर्शन करेगी।
प्रेस वार्ता में प्रवक्ता अभिनव थापर, महानगर अध्यक्ष डॉ जसविंदर सिंह गोगी, ऋषिकेश के पूर्व कांग्रेस प्रत्याशी जयेंद्र रमोला, यमुनोत्री अध्यक्ष दिनेश चौहान, याकूब सिद्दीकी और सुलेमान अली मौजूद रहे।