देहरादून। सरकारी नौकरी की चाहत रखने वाले बेरोजगार युवाओं के सपनों को नकल माफिया चकनाचूर कर रहे हैं। पिछले डेढ़ वर्ष में ऐसी कोई भर्ती परीक्षा नहीं रही, जो सवालों में न घिरी हो। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग तो बदनाम हो ही चुका है, लेकिन अब राज्य की सबसे बड़ी परीक्षा एजेंसी राज्य लोक सेवा आयोग भी उसी राह पर दिख रहा है।
वहीं नौकरियों का सौदागर संजीव चतुर्वेदी उत्तराखंड लोकसेवा आयोग में रहकर वर्ष 2018 से भर्तियों में खेल करता आ रहा है। एसटीएफ की जांच में लेखपाल-पटवारी भर्ती के अलावा तीन अन्य भर्तियों के पेपर लीक कर बेचने की पुष्टि हो चुकी है। इनमें जेई, एई और प्रवक्ता भर्तियां शामिल हैं। इनके पेपर के लिए संजीव ने 30 से 50 लाख रुपये प्रति अभ्यर्थी लिए हैं। एसटीएफ इन भर्तियों में हुए खेल का भी जल्द खुलासा कर सकती है।
अधिकारिक सूत्रों के अनुसार, एसटीएफ की गिरफ्त में आते ही संजीव चतुर्वेदी ने अपने सारे काले कारनामे तोते की तरह उगल दिए। बताया कि उसने सिर्फ यही पेपर लीक नहीं कराया था बल्कि यह काम तो वह बीते चार साल से करता आ रहा है। उसमें से तीन भर्तियों के नाम लिए। इनमें अवर अभियंता (जेई), सहायक अभियंता (एई) और प्रवक्ता भर्ती शामिल है। एसटीएफ ने अब तक अभ्यर्थियों की संख्या की भी तस्दीक कर ली है। जेई भर्ती में तीन अभ्यर्थियों ने पेपर खरीदकर परीक्षा दी थी। जबकि, एई के लिए पांच अभ्यर्थियों ने पेपर खरीदा था। प्रवक्ता पद के लिए अब तक एसटीएफ तीन अभ्यर्थियों के नामों की पुष्टि कर चुकी है। बताया जा रहा है कि इनकी संख्या और भी हो सकती है। यदि संख्या ज्यादा हुई तो एसटीएफ इन परीक्षाओं को रद्द करने के लिए भी पत्र भेज सकती है।
बता दे कि लेखपाल भर्ती परीक्षा कराने की जो जिम्मेदारी सरकार ने अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से छीनकर लोक सेवा आयोग को सौंपी थी, वह भी नकल की भेंट चढ़ गई। चिंताजनक यह है कि नकल के इस धंधे में परीक्षा कराने वाली एजेंसियों के ही कुछ लोग शामिल हैं। ये नकल माफिया के साथ मिलकर बेरोजगारों के साथ दगा कर रहे हैं। प्रदेश में भर्ती परीक्षाओं में धांधली का इतिहास यूं तो पुराना है, लेकिन इसका सबसे बड़ा जिन्न वर्ष 2021 में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर से मई से दिसंबर-2021 के बीच आयोजित तीन भर्ती परीक्षाओं में हुई नकल के रूप में बाहर निकला।