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ऋषिकेश में HC की बेंच स्थापित करने के निर्देश पर भड़के हाईकोर्ट के अधिवक्ता, सरकार से मांगा जवाब

नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने ऋषिकेश स्थित आईडीपीएल की कुछ याचिकाओं पर मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में सुनवाई की। इस याचिका में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी भी मामले में ऑनलाइन जुड़ी थी। सुनवाई के बाद आर्डर लिखाते समय मुख्य न्यायाधीश ने हाईकोर्ट को गौलापार शिफ्ट करने को गलत कदम बताते हुए कहा कि इसके लिए उपयुक्त स्थल ऋषिकेश में आईडीपीएल की 850 एकड़ भूमि रहेगी।

मुख्य न्यायाधीश ने आगे कहा कि आने वाले 50 सालों के लिये के लिये योजना बनायी जानी चाहिए। पहले तीन न्यायाधीशों की बेंच थी और आज उच्च न्यायालय में 11 न्यायाधीश हैं। अदालत ने कहा कि अन्य राज्यों की तरह यहां भी हाईकोर्ट की दो बेंच स्थापित होनी चाहिए। एक बेंच नैनीताल और एक बेंच आईडीपीएल ऋषिकेश में बनायी जाए। अदालत ने कहा कि 75 प्रतिशत मामले देहरादून से आते हैं। इसलिए आईडीपीएल हाईकोर्ट के लिए मुफीद है। उन्होंने सरकार को 21 मई तक प्रस्ताव भेजने को कहा है।

मामले के अनुसार हरिद्वार जिले में ऋषिकेश स्थित इंडियन ड्रग्स एंड फार्मास्यूटिकल लिमिटेड (आईडीपीएल) की कुछ याचिकाओं पर सुनवाई चल रही थी। इस याचिका में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी भी मामले में ऑनलाइन जुड़ी हुई थीं। सुनवाई के बाद आदेश लिखाते समय मुख्य न्यायाधीश ने हाईकोर्ट को गौलापार शिफ्ट करने को गलत कदम बताते हुए कहा कि इसके लिए उपर्युक्त स्थल ऋषिकेश में आईडीपीएल की 850 एकड़ भूमि ठीक है। इस भूमि में से 130 एकड़ भूमि में पूर्व कर्मचारी रहते हैं।

न्यायालय में आदेश पारित होते ही अधिवक्ताओं के बीच खलबली मच गई, सभी बार सभागार में एकत्रित हुए और अपने अपने विचार रखे, सभी ने एक स्वर में कहा कि इसका विरोध किया जाये। जबसे कोर्ट बनी है, अभी तक जजों की पूरी नियुक्ति तक नहीं हुई। साल में एक बार कोर्ट शिफ्ट करने का मामला सामने आता है। अधिवक्ता जितेंद्र चौधरी ने बताया कि उनकी याचिका के बाद आदेश लिखाते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वो हाईकोर्ट को गौलापार शिफ्ट करने का विरोध करते हैं। गढ़वाल क्षेत्र से आने वाले 70 प्रतिशत वादकारियों के लिए एक बेंच ऋषिकेश में स्थापित करने का प्रस्ताव किया। बाकी कुमाऊं के 30 प्रतिशत लोगों के लिए कोर्ट नैनीताल ही रहेगी।

इस मौके पर हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष डीसीएस रावत, सचिव सौरभ अधिकारी, विजय भट्ट, प्रभाकर जोशी, सय्यद नदीम ‘मून’, विकास गुगलानी, पुष्पा जोशी, रमन साह, ललित बेलवाल, दीप प्रकाश भट्ट, कुर्बान अली, कैलाश तिवारी, सौरभ पाण्डे, दीप जोशी, हरेंद्र बेलवाल, भुवन रावत, दुष्यंत मैनाली, डीएस मेहता, एमसी कांडपाल, अजय बिष्ट, लता नेगी, सुहैल अहमद सिद्दीकी आदित्य साह आदि सैकड़ों अधिवक्ता मौजूद रहे।

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