अपराध की कोई शक्ल नहीं होती बल्कि अपराध का बोध तब होता है जब कोई अनहोनी घटना घटित हो जाती है तब उसकी असल चेहरा सामने आता है लेकिन तब तक देर हो जाती है और हम सिर्फ और सिर्फ हाथ पर हाथ धरकर रह जाते हैं। बाल अपराध पूरे …
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