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उत्तराखण्ड में कागजी अखरोट उत्पादन को बढ़ावा देने से किसानों की आय बढ़ेगी

रानीखेत/अल्मोड़ा-उत्तराखण्ड मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत के निर्देशों के अनुपालन में उद्यान विभाग द्वारा लगातार पर्वतीय क्षेत्रों में काश्तकारों की आजीविका बढ़ाने के लिए उद्यान विभाग ने ताकुला विकासखंड के राजकीय प्रजनन उद्यान भैसोड़ी में कागजी अखरोट की नर्सरी तैयार की है। मुख्य उद्यान अधिकारी टीएन पांडे ने बताया कि हार्टिकल्चर टेक्नोलाजी मिशन और अन्य योजना के अंतर्गत किसानों को कागजी अखरोट के पौधे दिए जाएंगे। विभाग द्वारा बोये कागजी अखरोट के एक क्विंटल बीज से चार हजार पौधों की नर्सरी तैयार कर ली गई है। अखरोट के पौधों के रोपण के लिए जनवरी से 15 फरवरी तक का समय उपयुक्त रहता है। जिले में अभी 2820 हेक्टेयर क्षेत्र में 17 हजार से अधिक किसानों द्वारा 8500 मीट्रिक टन अखरोट का उत्पादन किया जा रहा है। अखरोट का बाजार मूल्य चार सौ रुपये प्रति किलो तक मिल जाता है। जबकि कागजी अखरोट के 700 रुपये प्रति किलो तक मिल जाते हैं। खेती और उद्यानीकरण के साथ अखरोट उत्पादन से जुड़कर किसान अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते हैं।

मुख्यमंत्री की घोषणा के तहत पिछले वर्ष विभाग ने मानिला के 13 गांवों में 54 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में अखरोट के पौधे लगाए थे। मुख्य उद्यान अधिकारी ने बताया कि जिले की जलवायु अखरोट उत्पादन के अनुकूल होने की वजह से उन्नत प्रजाति के कागजी अखरोट को बढ़ावा देने के लिए इस सीजन में चार हजार पौधे लगाने की विभाग की योजना बनाई है। इस प्रजाति के पेड़ पांच साल में फल देने लगते हैं। इनमें फल भी दूसरी प्रजातियों की अपेक्षा अधिक आते हैं। उद्यान विभाग की योजना सफल रही तो कागजी अखरोट किसानों की आय बढ़ाने में कारगर साबित हो सकता है।

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