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शोध में बड़ा खुलासा, खून और टिश्यू में एक साल तक रह सकता है कोरोनावायरस, ऐसे लोगों में खतरा अधिक

नई दिल्ली। कोविड-19 वायरस को लेकर एक रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इसके मुताबिक, खून और टिश्यू में एक साल से ज्यादा समय तक ये वायरस पाया जा सकता है। यही नहीं इससे लॉन्ग कोविड का खतरा हो सकता है। अगर ऐसा कोई लक्षण नजर आता है तो अलर्ट रहने की जरूरत है। खास तौर पर लंबे समय तक ये वायरस दिल के दौरे और स्ट्रोक की वजह बन सकते हैं। कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सैन फ्रांसिस्को (UCSF) के रिसर्चर्स ने पाया कि कुछ लोगों में कोविड एंटीजन के टुकड़े खून में हो सकते हैं, भले ही उन्हें लगता हो कि उनके पास नॉर्मल इम्यूनिटी प्रॉसेस हैं।

कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने शोध के दौरान पाया है कि किसी व्यक्ति के पहली बार कोरोना से संक्रमित होने के बाद वायरस के अवशेष एक वर्ष से अधिक समय तक रक्त और ऊतकों में रह सकते हैं। लॉन्ग कोविड के जोखिमों को लेकर शोध कर रही वैज्ञानिकों की टीम ने बताया कि संक्रमण के बाद 14 महीने तक रक्त में और दो साल से अधिक समय तक ऊतकों के सैंपल में कोरोनावायरस के एंटीजन पाए गए। शोधकर्ताओं ने कहा, संभवत: ये एक कारण हो सकता है कि बार-बार लोग कोरोना से संक्रमित पाए जा रहे हैं। कोरोना के जोखिमों को लेकर सभी लोगों को सावधानी बरतते रहने की आवश्यकता है।

शरीर में बना रह सकता है कोरोनावायरस:- यूसीएसएफ स्कूल ऑफ मेडिसिन में संक्रामक रोगों के शोधकर्ता माइकल पेलुसो कहते हैं, ये अध्ययन अब तक का सबसे मजबूत सबूत प्रदान करता है कि कोविड-19 एंटीजन कुछ लोगों में लंबे समय तक बने रह सकते हैं, भले ही हमें लगता है कि उनके पास सामान्य प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाएं हैं।

वैज्ञानिक यह समझने के लिए शोध कर रहे थे कि लॉन्ग कोविड के क्या कारण हो सकते हैं, जिसमें बीमारी के लक्षण संक्रमण से ठीक होने के बाद भी महीनों या वर्षों तक बने रहते हैं। लॉन्ग कोविड के कारण सबसे आम लक्षणों में अत्यधिक थकान, सांस लेने में तकलीफ, गंध की कमी और मांसपेशियों में दर्द की समस्या देखी जाती रही है। पर कुछ लोगों में ये हृदय, फेफड़े और मस्तिष्क से संबंधित समस्याओं को बढ़ाने वाली भी हो सकती है।

अध्ययन में क्या पता चला:- यूसीएसएफ की शोध टीम ने इस अध्ययन के लिए 171 संक्रमित लोगों के ब्लड सैंपल की जांच की। इसमें पाया गया कि कुछ लोगों में संक्रमण के 14 महीने बाद तक कोविड-19 के “स्पाइक” प्रोटीन मौजूद थे। एंटीजन उन लोगों में अधिक पाए गए जिनको संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा था या फिर जिन लोगों में कोरोना के लक्षण काफी गंभीर थे। इतना ही नहीं शरीर के ऊतकों में, संक्रमित होने के दो साल बाद तक भी वायरस के आरएनए के अंश मिले हैं।

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