नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक बार फिर किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का पर्दाफाश किया है। क्राइम ब्रांच की टीम ने इस मामले में आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया है जो फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अवैध तरीके से किडनी ट्रांसप्लांट का रैकेट चला रहे थे।
किन स्टेट में फैला था गिरोह का जाल…
दिल्ली क्राइम ब्रांच ने इंटरस्टेट किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का पर्दाफाश कर 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया, साथ ही 34 नकली स्टैंप, 17 मोबाइल फोन, 2 लैपटॉप, 9 सिम कार्ड, 1 लग्जरी कार, 1,50,000 रुपए, डोनर और पेशेंट के फर्जी दस्तावेज बरामद किए हैं। ये रैकेट दिल्ली एनसीआर, पंजाब, हरियाण, मध्य प्रदेश और गुजरात में एक्टिव था। इस गैंग के कुछ सदस्य फर्जी दस्तावेज बनाकर अस्पतालों में ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर के तौर पर नौकरी ले लेते थे।
इससे उन्हें किडनी पेशेंट्स की जानकारी मिल जाती थी. साथ ही पेशेंट्स के टेस्ट भी करवा लेते थे ताकि सही डोनर मिल सके। डोनर्स को तलाशने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग किया करते थे। अभी तक इस मामले में किसी डॉक्टर की भूमिका सामने नहीं आई है। इस गिरोह के मास्टरमाइंड संदीप आर्य है जो अन्य अस्पतालों में एक ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर है। एक ट्रांसप्लांट कराने के 35 -40 लख रुपए लेता है। संदीप, देवेंद्र, विजय, पुनीत, हनीफ, चीखा, तेज प्रकाश और रहित वर्मा को गिरफ्तार किया है।
नोएडा के अस्पताल में हो रही थी सर्जरी…
जिस किडनी रैकेट के तार बांग्लादेश से जुड़े थे। उसमें पुलिस ने जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया था, उसमें जिस अस्पताल में ये सर्जरी हो रही थी, वो नोएडा का बड़ा अस्पताल है। इस गिरोह के पर्दाफाश के बाद अस्पताल और डॉक्टर पर सवाल खड़े रहे हैं।
कुछ दिन पहले ही हुआ था एक और गिरोह का पर्दाफाश…
इससे पहले किडनी ट्रांसप्लांट गिरोह से जुड़ी नामी अस्पताल की डॉक्टर विजया कुमारी भी पकड़ी गई थी। गिरोह का मास्टरमाइंड बांग्लादेशी नागरिक रसेल भी जसोला विहार से पकड़ा गया था। रिसीवर और डोनर दोनों बांग्लादेशी नागरिक थे। नोएडा के एक नामी अस्पताल में विजया कुमारी ने 15 से ज्यादा किडनी अवैध तरीके से ट्रांसप्लांट की थी। इस गिरोह से जुड़े लोग 4 से 5 लाख में किडनी लेते थे और 25 से 30 लाख में बेचते थे। किडनी रैकेट में अब तक कुल 15 गिरफ्तार हो चुके हैं।