देहरादून। बीते रविवार को चमोली जिले में ऋषिगंगा में आई जल प्रलय से 174 लोग आज मंगलवार तक लापता बताये गये हैं। इनमें से टनल में फंसे हुए करीब 35 मजदूरों को निकालने की कवायद जारी है। वहीं, 32 शव निकाले जा चुके हैं। सभी शव टनल से और आसपास के क्षेत्रों में नदियों के किनारे से मिले हैं। वहीं डीजीपी अशोक कुमार ने आज सुबह बताया कि टनल में थोड़ा और आगे बढ़े हैं, अभी टनल खुली नहीं है। अधिकारियों के मुताबिक आज सारा मलबा साफ होने की उम्मीद है। डीजीपी ने कहा कि हैदराबाद की टीम के पास एक रिमोट सेंसिंग उपकरण है जो जमीन में 500 मीटर तक गहरे मलबे का पता लगा सकता है। हम एक हेलीकॉप्टर की मदद से डिवाइस का उपयोग कर रहे हैं।
आज मंगलवार को आपदा प्रभावित क्षेत्र से छह शव बरामद हुए हैं। इनमें चार शव रैणी और एक-एक शव डिडौली व सेकोट से मिले हैं। सूचना विभाग ने यह पुष्टि की है। अब मृतकों की कुल संख्या 32 और लापता लोगाें की संख्या 174 हो गई है।
उधर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा है कि 93 एनटीपीसी कर्मी फिलहाल लापता हैं। 39 लोग अभी भी सुरंग में फंसे हुए हैं। उन तक पहुंचने के प्रयास जारी है। उन्होंने बताया कि हम हिमस्खलन के पास एहतियात के तौर पर अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाने की योजना बना रहे हैं।
मलारी हाईवे पर पुल बह जाने के बाद 13 गांव अलग-थलग पड़े हैं। इन गांवों मे हेलीकॉप्टर के जरिए रसद पहुंचाई जा रही है। आईटीबीपी के करीब 50 जवान रसद पहुंचाने में लगे हुए हैं। इसके साथ ही टनल में अंधेरा और ऑक्सीजन की कमी के कारण एनडीआरएफ की टीम अब ऑक्सीजन सिलिंडर लगाकर टनल में घुसने की योजना बना रही है। साथ ही टनल में ड्रोन से भी खोजबीन कार्य किया जा रहा है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज राज्यसभा में उत्तराखंड के चमोली जिले में हिमस्खलन से आई आपदा के राहत-बचाव कार्य की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य की सभी संबंधित एजेंसियां आपदा की स्थिति की निगरानी कर रही हैं। शाह ने कहा कि आईटीबीपी के 450 जवान, एनडीआरएफ की पांच टीमें, भारतीय सेना की आठ टीमें, एक नेवी टीम और वायु सेना के पांच हेलीकॉप्टर खोज और बचाव अभियान में लगे हुए हैं।
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