नई दिल्ली। आजादी के जश्न के अगले ही दिन ISRO ने एक बड़ा इतिहास रच दिया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से SSLV-D3 रॉकेट की सफल लॉन्चिंग कर दी है। आज सुबह 9:17 बजे SSLV-D3/EOS-08 मिशन की तीसरी और अंतिम विकासात्मक उड़ान का सफल प्रक्षेपण किया है। इसरो के इस कदम से भारत अब धरती की धड़कन सुन सकेगा। अगर इसरो का मिशन सफल रहता है तो फिर भारत को आपदाओं की जानकारी समय से मिल जाएगी।
पर्यावरण और आपदा की जानकारी देगा EOS-08…
अर्थ ऑब्जरवेशन सेटेलाइट EOS-08 पृथ्वी की निगरानी करने के साथ ही पर्यावरण और आपदा को लेकर जानकारी देगा। इसके साथ ही तकनीकी प्रदर्शन भी करेगा। लगभग 175.5 किलोग्राम वजन वाला EOS-08 कई वैज्ञानिक और व्यावहारिक क्षेत्रों में मूल्यवान डाटा और अंतर्दृष्टि का योगदान देने के लिए तैयार है। ईओएस-08 में तीन अत्याधुनिक पेलोड हैं: एक इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इन्फ्रारेड पेलोड (ईओआईआर), एक ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम-रिफ्लेक्टोमेट्री पेलोड (जीएनएसएस-आर) और एक एसआईसी यूवी डोसिमीटर।
ईओआईआर पेलोड को मध्य-तरंग आईआर और लंबी-तरंग आईआर बैंड में दिन और रात दोनों छवियों को कैप्चर करने के लिए डिजाइन किया गया है, जो आपदा निगरानी से लेकर आग का पता लगाने और ज्वालामुखी गतिविधि अवलोकन तक के अनुप्रयोगों को सक्षम बनाता है। जीएनएसएस-आर पेलोड महासागर की सतह की हवा के विश्लेषण, मिट्टी की नमी के आकलन और बाढ़ का पता लगाने के लिए अभिनव रिमोट सेंसिंग क्षमताओं को प्रदर्शित करता है।
एक वर्ष के लिए तय है ईओएस-08 का मिशन…
ईओएस-08 में कई स्वदेशी रूप से विकसित घटक भी शामिल हैं, जिनमें सौर सेल निर्माण प्रक्रियाएं और माइक्रोसैट अनुप्रयोगों के लिए एक नैनो स्टार-सेंसर शामिल हैं। इसरो ने कहा था कि नवाचार के लिए मिशन की प्रतिबद्धता बेहतर प्रदर्शन के लिए एक्स-बैंड डेटा ट्रांसमिशन सिस्टम तक फैली हुई है। इसरो ने कहा था, अपने नियोजित एक वर्ष के मिशन जीवन के साथ, ईओएस-08 महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करने के लिए तैयार है, जो पृथ्वी की प्रणालियों की समझ को बढ़ाएगा और समाज और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए लाभकारी अनुप्रयोगों की एक विस्तृत श्रृंखला का समर्थन करेगा।
SSLV को मिल जाएगा यह दर्जा…
इस मिशन की उम्र एक साल है। एसएसएलवी D3 की लॉन्चिंग के बाद SSLV को पूरी तरह से ऑपरेशन रॉकेट का दर्जा मिल जाएगा। SSLV-D1/EOS-02 के पहले मिशन ने अगस्त 2022 में उपग्रहों को इच्छित कक्षाओं में स्थापित किया था। दूसरी विकासात्मक उड़ान 10 फरवरी, 2023 को सफलतापूर्वक लॉन्च की गई थी। एसएसएलवी रॉकेट की लागत PSLV रॉकेट से करीब छह गुना तक कम है।