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मां-बाप वहां नहीं थे, तो FIR दर्ज करवाने की जिम्मेदारी किसकी, जानें कोलकाता कांड पर SC की 10 टिप्पणियां

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार (20 अगस्त) को कोलकाता रेप-मर्डर मामले पर सुनवाई हुई। शीर्ष अदालत ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लिया है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल रहे। बेंच ने इस मामले में पीड़िता की पहचान उजागर होने पर चिंता जाहिर की। साथ ही केस में पुलिस जांच से लेकर आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल संदीप घोष की भूमिका तक पर सवाल उठाए। कोर्ट ने मामले में आठ सदस्यीय टास्क फोर्स के गठन का फैसला किया। इसमें एम्स के निदेशक डॉ. एम श्रीनिवासन के अलावा कई और डॉक्टरों का नाम शामिल किया गया।

‘हम डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर चिंतित’

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि ये सिर्फ एक मर्डर का मामला नहीं है। हमें डॉक्टरों की सुरक्षा की चिंता है। बेंच ने कहा कि महिलाएं सुरक्षा से वंचित हो रही हैं। बेंच ने कहा कि आखिर ऐसे हालात में डॉक्टर कैसे काम करेंगे। हमने देखा है कि उनके लिए कई जगहों पर रेस्ट रूम तक नहीं होते। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अगर महिलाएं काम पर नहीं जा पा रही हैं और काम करने की स्थितियां सुरक्षित नहीं हैं तो हम उन्हें समानता से वंचित कर रहे हैं। ज्यादातर युवा चिकित्सक 36 घंटे काम करते हैं, हमें काम करने की सुरक्षित स्थितियां सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय प्रोटोकॉल बनाने की जरूरत है।”

पश्चिम बंगाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगायी

सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि जब आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के प्राचार्य का आचरण जांच के घेरे में है तो उन्हें कैसे तुरंत किसी दूसरे कॉलेज में नियुक्त कर दिया गया। महिला डॉक्टर के परिवार को बॉडी देने के 3 घंटे 30 मिनट के बाद एफआईआर दर्ज क्यों की गई। ममता सरकार और अस्पताल प्रशासन को फटकार लगाते हुए पूछा कि प्रशासन आखिर कर क्या रहा था. FIR दर्ज करवाना अस्पताल की जिम्मेदारी थी, क्यों कि पीड़िता का परिवार वहां नहीं था।

पीड़िता की पहचान उजागर होने पर सुप्रीम कोर्ट नाराज

सुप्रीम कोर्ट की तरफ से पीड़िता की पहचान उजागर करने को लेकर भी नाराजगी जाहिर की गई। कोर्ट ने कहा कि यह घटना दुखद है। सुप्रीम कोर्ट ने एलान किया कि इस घटना के बाद डॉक्टरों की स्थिति को लेकर नेशनल टास्क फोर्स बनाने जा रहे हैं। यह टास्क फोर्स कोर्ट की निगरानी में काम करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सीबीआई से स्टेटस रिपोर्ट भी तलब की।

सुप्रीम कोर्ट की 10 बड़ी टिप्पणी…

1- सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हर बार बलात्कार और हत्या होने पर देश की अंतरात्मा नहीं जागनी चाहिए।

2- यह केवल भयावह घटना नहीं बल्कि पूरे भारत में डॉक्टरों की सुरक्षा की कमियों को उजागर करता है।

3-सीजेआई ने कहा कि हम अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चिंतित हैं.

4- कोर्ट ने कहा, अगर महिलाएं काम पर नहीं जा सकतीं और सुरक्षित नहीं रह सकतीं तो हम उन्हें बुनियादी समानता से वंचित कर रहे हैं।

5- पीड़िता की पहचान उजागर होने पर चिंता जताते हुए कोर्ट ने कहा कि यह बेहद चिंताजनक है।

6-CJI ने कहा, प्रिंसिपल ने इसे आत्महत्या बताने की कोशिश की, माता-पिता को शव देखने की इजाजत नहीं।

7- CJI ने पश्चिम बंगाल सरकार और हॉस्पिटल प्रशासन को फटकार लगाई? कहा एफआइआर देर से क्यों दर्ज हुई? हॉस्पिटल प्रशासन आखिर क्या कर रहा था।

8- अस्पताल में हुई तोड़फोड़ पर सवाल उठाते हुए कोर्ट ने कहा कि पुलिस को घटनास्थल की सुरक्षा करनी चाहिए। आखिर 7 हजार लोग वहां दाखिल कैसे हुए।

9- कोर्ट ने कहा कि वह सिर्फ हत्यारा नहीं बल्कि एक विकृत व्यक्ति है। कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों पर सख्ती को लेकर भी पश्चिम बंगाल सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन को नहीं रोका जा सकता।

10- सु्प्रीम कोर्ट ने आरजी कर के पूर्व प्रिंसिपल की भूमिका पर भी सवाल उठाए. पूछा कि आखिर प्रिंसिपल क्या कर रहे थे। उन्हें इतनी देरी से पूछताछ के लिए क्यों बुलाया गया। उन्होंने ऐसी निष्क्रियता क्यों दिखाई।

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