- पार्टी नेता यशपाल आर्य और करण माहरा बोले, सुप्रीम कोर्ट के जज के संरक्षण में होनी चाहिए यूकेएसएसएससी पेपर लीक घोटाले की जांच
देहरादून/हल्द्वानी। प्रदेश में उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) में भर्ती घोटालों को लेकर लगातार मामला तूल पकड़ता जा रहा है। आज मंगलवार को कांग्रेस नेता प्रीतम सिंह ने विधानसभा में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए धामी सरकार की नीयत पर सवाल उठाये हैं। उन्होंने सरकार से पूछा कि इस मामले में आयोग में रहे दोनों अध्यक्षों और सचिव से भी पूछताछ क्यों नहीं की गई। उन्होंने प्रिंटिंग प्रेस को लेकर भी कई तरह के सवाल खड़े किए।
प्रीतम ने कहा कि एसआईटी ने प्रिंटिंग प्रेस के मालिक को गिरफ्तार किया है लेकिन जिस कंपनी को टेंडर दिए गए थे, उसको अभी तक ब्लैक लिस्ट नहीं किया गया। वर्ष 2014 से लेकर अब तक उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा 8 भर्तियां की गई हैं। इनमें से कई भर्तियों पर धांधली के आरोप लगे हैं, लेकिन आज तक आयोग के अध्यक्ष से किसी तरह की पूछताछ नहीं हुई। आयोग के अध्यक्ष ने इस्तीफा देकर अपना पल्ला झाड़ लिया। जबकि यूकेएसएसएससी पेपर लीक धांधली में आयोग के सचिव और अध्यक्ष से भी पूछताछ की जानी चाहिए और इसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए।
उधर आज मंगलवार को हल्द्वानी में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर धामी सरकार पर निशाना साधा। आर्य ने कहा कि पेपर लीक घोटाले की जांच सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के संरक्षण में सीबीआई से जांच करवाई जाए क्योंकि एसआईटी कभी न कभी सरकार के दबाव में काम कर सकती है। विधानसभी भर्ती मामले पर उन्होंने कहा कि वह भी 2002 से 2007 तक विधानसभा के अध्यक्ष रह चुके हैं। लिहाजा उनके कार्यकाल समेत यानी जांच 2002 से 2022 तक की होनी चाहिए। इससे तस्वीर साफ हो जाएगी।
माहरा ने कहा कि कांग्रेस भर्ती घोटालों को लेकर युवाओं को जागरूक करेंगे। विधानसभा भर्ती मामले पर उन्होंने कहा कि विधानसभा में भाजपा नेताओं के 75 रिश्तेदारों को भी नौकरी मिली है। कांग्रेस जल्द ही 200 लोगों की लिस्ट जारी करेगी जिन्होंने भाजपा के शासनकाल में विधानसभा में नौकरी पाई है
उधर डोईवाला में भर्ती घोटाला और विधानसभा नियुक्ति मामले को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल के नेतृत्व में भाजपा सरकार का पुतला फूंका। इस मौके पर गोदियाल ने कहा कि धामी सरकार उत्तराखंड के युवाओं के सपनों को कुचलने का काम कर रही है। जबकि तमाम भर्तियों में हुए घोटालों की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।