देहरादून। हरक सिंह रावत के जमाने में बेहद चर्चित रही शिक्षा विभाग की अधिकारी दमयंती रावत की बर्खास्तगी की तैयारी कर ली गई है। धामी सरकार एक तरफ दमयंती की बर्खास्तगी की भूमिका तैयार कर रही है और दूसरी तरफ उनके खिलाफ नई जांच करवाकर ठोस आधार भी तैयार किया जा रहा है।
सूत्रों का कहना है कि जांच से जुड़ी यह फाइल अब मुख्यमंत्री दरबार तक भी पहुंच चुकी है। हालांकि इस एक्शन से पहले फाइल के किसी स्तर पर दबने की आशंका भी जताई जा रही है। दिग्गज नेता हरक सिंह रावत की करीबी दमयंती रावत अब सरकार के निशाने पर है। बर्खास्तगी से पहले दमयंती रावत के खिलाफ शासन स्तर से एक बड़ी जांच करवाने की बात सामने आ रही है। इससे जुड़ी फाइल शिक्षा मंत्रालय से होते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंचने की भी खबर है।
पिछली सरकार में ही शिक्षा विभाग ने श्रम विभाग को दमयंती रावत के पद के दुरुपयोग से जुड़े मामले पर श्रम आयुक्त की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाकर जांच कराने की सिफारिश की थी। इस जांच में श्रम विभाग से लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भी रखा जाना था। इसके लिए शिक्षा विभाग ने फाइल चलाकर श्रम विभाग और फिर मुख्यमंत्री कार्यालय तक भी मंजूरी के लिए भेजा था। इसके बाद आचार संहिता लगने और प्रदेश के चुनाव मोड में जाने के चलते यह मामला लटक गया।
खबर है कि इस जांच के आधार पर सरकार दमयंती को शिक्षा विभाग से बर्खास्त करने के प्रयास में है। शासन के एक बड़े अधिकारी ने इसकी पुष्टि की है। दमयंती ने शिक्षा विभाग में होने के बावजूद बिना महकमे से एनओसी लिए दूसरे विभागों में प्रतिनियुक्ति पर अपनी सेवाएं दी हैं। दमयंती रावत यूं तो मूल रूप से शिक्षा विभाग में खंड शिक्षा अधिकारी है और पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान हरक सिंह रावत ने कृषि मंत्री रहते हुए उन्हें अपने विभाग में प्रतिनियुक्ति पर लाए थे। खंड शिक्षा अधिकारी के पद पर रहते हुए जिस ग्रेड-पे को लेकर दमयंती अधिकृत थी, उससे कहीं अधिक ग्रेड पे उन्हें प्रतिनियुक्ति के दौरान मिलता रहा।
उस दौरान सरकार के शिक्षा मंत्री ने दमयंती को एनओसी देने से इनकार कर दिया था. बावजूद इसके दमयंती प्रतिनियुक्ति पर बिना परेशानी के सेवाएं देती रहीं। इसके बाद दमयंती का कद बढ़ाते हुए उन्हें उत्तराखंड बीज एवं जैविक प्रमाणीकरण अभिकरण में निदेशक के पद पर भी तैनात कर दिया गया। वहीं, इसके बाद हरक ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया और इसके साथ ही तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने भी दमयंती को उनके पद से हटा दिया. लिहाजा। दमयंती ने वापस शिक्षा विभाग में जॉइनिंग तो ले ली, लेकिन दमयंती को जैसे ही पिथौरागढ़ भेजा गया तो उन्होंने वहां ज्वॉइन ही नहीं किया।
इसके बाद हरक भाजपा में फिर सत्ता में आ गए और उन्होंने दमयंती को कर्मकार कल्याण बोर्ड में प्रतिनियुक्ति पर बुला लिया। हैरानी की बात यह है कि इस बार भी सरकार में शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने उन्हें विभाग से जाने की एनओसी न देने का फैसला लिया। बावजूद इसके दमयंती रावत कर्मकार कल्याण बोर्ड में काम करती रही, लेकिन अब जब हरक फिर कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं तो सरकार दमयंती की भी घेराबंदी करने में जुटी है। अब सूचना है कि यह फाइल मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंच चुकी है और इंतजार मुख्यमंत्री की संस्तुति का है। जिसके बाद दमयंती के खिलाफ एक बड़ी जांच कब शुरू हो पाएगी, यह देखने वाली बात होगी।
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